पहल : पहाड़ी वन क्षेत्र में उपजी वनौषधि से कमाये हजारों

सतपुड़ा के जंगलों में उपजी दुर्लभ कालमेघ से आदिवासी बन रहे आत्मनिर्भर
इटारसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)के आत्म निर्भर भारत अभियान के सपनों को साकार करने में अब मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh)का होशंगाबाद (Hoshangabad)जिला भी पीछे नहीं है। यहां सतपुड़ा के जंगल (Satpura forests) वन औषधि के रूप में दुर्लभ जड़ी-बूटियों से भरपूर हैं और इनके माध्यम से ही अब आदिवासी समुदाय (tribal communities) आत्मनिर्भर बन रहा है और इनकी बिक्री से हजारों रुपए कमा रहा है।
जिले मे वनों का काफी बड़ा रकबा है जिसमें अधिकांश क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य हैं। यहा पर सतपुड़ा टाईगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve)एवं सामान्य वन मंडल (General Forest Division)दोनों में रहने वाले कमजोर तबके के आदिवासी समुदाय के ग्रामीणों का जीवन स्तर भी अब तरक्की की कगार पर दिखाई दे रहा है। सतपुड़ा के जंगलों में महुआ, हर्रा बहेरा, अर्जुन की छाल, मूसली, कालमेघ, बील, चिरौली, तेंदूपत्ता, आवंला जैसी दर्जनों वन औषधियों की पैदावार हो रही है, जिससे अच्छी कमाई भी इन ग्रामीण संग्राहकों को हो रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan)की पहल पर भी इन दुर्लभ वन औषधियों का बेहतर समर्थन मूल्य दिया जा रहा है, जिससे वनवासियों का रूझान भी जंगल में पैदा होने वाली वन उपज की तरफ बढ़ रहा है। बिचौलियों के शोषण से मुक्त करान मध्य प्रदेश सरकार वन उपज संग्राहकों को बेहतर समर्थन मूल्य भी दे रही है। सीधे बड़े व्यापारी वन समितियों के माध्यम से अब ये वनौपज की खरीदी सरकार के द्वारा तय समर्थन मूल्य या अधिक पर कर रहे हैं। जिले के सामान्य वन मंडल के सुखतवा (Sukhatwa), केसला (Kesla), इटारसी रेंज (Itarsi Range)के अधीनस्थ व सिवनी मालवा (Seoni Malwa), बानापुरा (Seoni Malwa) वन परिक्षेत्र के तहत आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में रहने वाले वन वासियों द्वारा इन वन उपज का संग्रहण कर आत्म निर्भरता की और बढऩे का सार्थक प्रयास किया जा रहा है।
गौरतलब है कि विगत वर्ष महुआ और तेदूपत्ते के संग्रहण से कई आदिवासी परिवारों को लाखों रुपए की कमाई हुई थी। इस बार इटारसी वन परिक्षेत्र के तहत आनी वाले पीपलगोटा, नयागांव, चंदखार, बारासेल, गोलनडोह, सालई, पिपरिया, लालपानी, सोठिया, सहेली आदि वनक्षेत्र में रहने वाले इन वनवासियों ने जंगल में पैदा होने वाली वनौषधि कालमेघ का संग्रहण किया। सामान्य वनमंडल के डीएफओ लालजी मिश्रा (DFO Lalji Mishra) का कहना है कि इस बार कालमेघ औषधि के संग्रहण में संग्राहकों को पूर्व से ही अवगत कराया था कि वे संग्रहण करे लेकिन पेड को जडऱहित, बीज रहित ना करें जिससे कि यह पौधा जीवित रहे। डीएफओ लालजी मिश्रा की बातों का अनुसरण करते हुए इस बार इन वनवासी संग्राहकों ने कालमेघ वनौषधि का जडऱहित संग्रहण किया। लगभग 133 संग्राहक आदिवासीयों ने तकरीबन 51 क्विंटल कालमेघ का संग्रहण कर पौने दो लाख रुपये का नगद भुगतान वन समिति एवं जैव संसाधन प्रबंधन समिति के माध्यम से प्राप्त किया है।
बताया जा रहा है कि वन विभाग ने व्यापारियो से एमओयू किया और कड़वा चिरायता या कालमेघ की खरीदी पर एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य जो कि लघु वनोपज संघ भोपाल (Bhopal) द्वारा जारी किये गये थे। इन्हीं समर्थन मूल्य पर बाकायदा वन समिति एव जैव संसाधन प्रबंधन समिति के माध्यम से कालमेघ की खरीदी समर्थन मूल्य पर कराकर सैकड़ों आदिवासियो को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में सराहनीय कार्य किया है। आत्म निर्भर भारत अभियान की परिकल्पना को क्रियान्वित करने सामान्य वनमंडल होशंगाबाद के डीएफओ लालजी मिश्रा, एसडीओ शिवकुमार अवस्थी (SDO Shivkumar Awasthi )और वन विभाग की टीम लगातार प्रयासरत है। वनवासियों के उत्थान एवं उन्हे आत्म निर्भर बनाने ग्रीन इंडिया मिशन (Green India Mission)के तहत अनेक कार्यो को क्रियान्वित किया जा रहा है।