– रोहित नागे :
इटारसी में हॉकी का इतिहास दशकों पुराना है। यहां से कई नामी खिलाड़ी हुए जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर हॉकी खेलकर नगर का नाम रोशन किया। दीपक जेम्स से प्रारंभ यात्रा में वर्तमान में ओलंपियन विवेक सागर प्रसाद (Olympian Vivek Sagar Prasad) भी इटारसी के गांधी मैदान पर मिट्टी में हॉकी खेलकर अपने हुनर को निखारते हुए इंडियन हॉकी टीम तक पहुंचे हैं। वर्तमान में मप्र की सीनियर टीम में साहिल चौरे, गीत सिंह ठाकुर और शॉन गिडियन का चयन हुआ था और अब जूनियर में श्वेतांक (Shvetank)का चयन किया गया है। मिट्टी में खेलकर निकला खिलाड़ी आगे जाकर अपने प्रदर्शन से चयनकर्ताओं का ध्यान खींच रहा है तो विचार कर सकते हैं कि यदि इटारसी में एस्ट्रोटर्फ (AstroTurf) होता है तो यहां से कितनी ही प्रतिभाएं निकलेंगी जो हॉकी में भारत और मप्र का नाम रोशन कर सकती हैं। इसलिए अब इटारसी में एस्ट्रोटर्फ आवश्यक हो गया है। मप्र सरकार के खेल विभाग को इस तरफ ध्यान देकर जल्द ही इटारसी को एस्ट्रोटर्फ देना चाहिए।
हाल ही में मप्र की खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया (Sports Minister Yashodhara Raje Scindhia) ने जिला खेल परिसर के सभागार में प्रदेश की खेल गतिविधियों की समीक्षा बैठक में एक बात कही कि प्रदेश में जहां से अच्छे खिलाड़ी मिल रहे हैं, उन जगहों पर एस्ट्रोटर्फ (AstroTurf) बिछायी जाएगी। उन्होंने मुरैना, टीकमगढ़, मंडीदीप और बालाघाट में जल्द ही टर्फ डलवाने की बात कही है।
समझ नहीं आता कि खेल मंत्री इटारसी जैसे हॉकी की नर्सरी (Hockey nursery) कहे जाने वाले शहर को कैसे भूल गयीं या तो होशंगाबाद जिले का खेल विभाग उनको इसके लिए बता नहीं सका या जिला खेल अधिकारी इटारसी की हॉकी (Hockey)को नजदीक से नहीं जानती हैं। जहां पदस्थापना होती है, वहां के हर शहर की खेल गतिविधियों से अधिकारी को अच्छी तरह से वाकिफ होना चाहिए। इटारसी जैसे हॉकी के शहर को एस्ट्रोटर्फ नहीं देने के पीछे क्या मंशा है, यह समझ से परे हैं जबकि इटारसी ने हाल ही में मप्र की हॉकी टीम में मिट्टी में खेलकर आगे बढ़े तीन खिलाड़ी सीनियर और एक खिलाड़ी जूनियर के लिए दिया है। यहां के अखिल भारतीय टूर्नामेंट में खेलने के लिए देश से नामी टीमें आती हैं, यहां जितनी संख्या में दर्शक मिलते हैं, वे शायद ही कहीं मिलते होंगे। बावजूद इसके इटारसी को नजरअंदाज करना समझ से परे है। ऐसा लगता है कि विभाग में बैठे अफसर हॉकी को प्रमोट करने में भेदभाव कर रहे हैं।
होशंगाबाद में एस्ट्रोटर्फ लगा है, जहां हॉकी के उतने खिलाड़ी नहीं हैं, जितने इटारसी में हैं। वहां सबसे पहले इसलिए एस्ट्रोटर्फ लगा दिया क्योंकि वह जिला मुख्यालय है। सरकार की इस नीति पर में हास्य का अनुभव होता है कि जिला मुख्यालय पर एस्ट्रोटर्फ लगाया है, चाहे वहां उस खेल का कोई इतिहास ही न हो।
वाह रे विभाग, उस विभाग के अधिकारी और वाह री बुद्धिमानों की सरकार!
रोहित नागे
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