हम कितने आजाद, आज भी खुद से ही क्यों न करे प्रश्न..?

हम कितने आजाद, आज भी खुद से ही क्यों न करे प्रश्न..?

पंकज पटेरिया: 15 अगस्त, हमारी आजादी की सालगिरह, जाहिर यह दिन हमारे राष्ट्र और राष्ट्र वासियों के लिए बेहद हर्ष उल्लास, गौरव अनुभव करने का पावन दिवस। इसके साथ ही दिव्य दिवस उन महान बलिदानी क्रांतिकारी, ओर आंदोलनकारी सेनानियो के पुण्य स्मरण का भी महान दिवस है, जिन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के आगे घुटने नही टेके, भारी यातनाएं सही, लाठी ,चाबुक, सीने पर गोलियां झेली, भूख प्यास सही, सत्या ग्रह किए और हस्ते-हस्ते फांसी पर झूल गए। और अंततो गत्त्वा इन दीवानों के जोश, जुनून, जिद और अदम्य साहस के आगे गोरी हुकूमत को हार मानना पड़ी, फिर कहीं जाकर हमे आजादी के सुनहरे सूर्य के दर्शन हुए। इससे यह खुद-बा-खुद साबित हो जाता है कि यह आजादी हमे मुफ्त मे नही मिली है दोस्तो!  इसके लिए कितने महापुरषो ने आजादी की
बली वेदी पर अपने प्राणों की आहुति दी उनके नाम लिखे जाय तो पूरा एक ग्रंथ भी कम पड़ जायेगा। आज हर चीज हमे सहज, सुलभ उपलब्ध है। देश निरंतर प्रगति सोपान पार कर रहा है। आज किसी चीज के लिए हम मोहताज नहीं, आत्मनिर्भर है। बल्कि अन्य दूसरे देशों की भी सहायता करते आ रहे है। खाद्यान्न से लेकर आधुनिक शिक्षा, सुरक्षा, टेक्नोलॉजी मे भी हमने अपना ऊंचा कद कर विश्व उन्नत देशों के हम कद खड़े होने दमखम दिखाया है, पौरुष परचम चतुर्दिक फहराया है। समय समय छुपे भेड़ियों, आस्तीन के नागो को कठोर
सबक भी सिखाया है। यू हम जियो और जीने दो ओर वसुदेव कुटुंबकम महामंत्र के आराधक है, अनुयाई हैं। सबके मंगल की कामना करते है। अपितु शास्त्र और शस्त्र दोनो का मान मूल्य मर्यादा जानते है। सर्व सुख, शांति, समृद्धि, स्त्रोत का जाप पाठ करते हमे दुर्बल न समझा जाए हम विनम्रता से यह भी याद दिलाना बेहतर समझते कि जब जब हमारी एकता अखंडता संप्रभुता पर किसी ने बुरी नजर डालने की नाकाम नापाक कोशिश की है, तो हमने गांडीव उठाने मे देर नही की। आज देश के प्रभा मंडल का निरंतर विस्तार हो रहा है। यह आपकी तेजस्वी प्रतिभा देश प्रेम, कर्म शीलता त्याग आपसी सद्भाव आदि दिव्य गुणों के साथ महानत्यागी तेजस्वी राष्ट्र सेवी नेतृत्व के अहर्निश सेवामह का शुभ परिणाम है। लेकिन इस सबके साथ हम कितने आजाद आज भी है यह सुलगते सवाल भी हमे झुलसाते
है। हमे खुद में इन प्रश्नों के उत्तर तलाशना है। ओर इन मुंह बाए खड़े सवाल दर सवाल के खुले मुंह बन्द करना है। स्वयं आत्म निरीक्षण करिए आजादी के महान मोल का स्मरण कर देश समाज हित मे कार्य करे अपने नैतिक दायित्व को क्या सर्वोपरी मान अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे है?जवाब केस खुलते आप आपके दर्पण पूरे साफ दिखे बहुत बड़ियां, और कहीं कोई तोला माशा कमी लगती है, तो अपना सर्वश्रेष्ठ देश मे सौंप झोख देने के लिए संकल्प का दिया दिल में जला ले। सुप्त हो रहा मगर धड़कनों में बसे धमनिया में बहते इस तराने को फिर मोका आने पर साकार कर देने के लिए हमेशा की तरह आगे रहे। ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम, तेरी राहों में जान तक लूटा जायेंगे। फूल क्या चीज है, तेरे कदमों में हम, भेंट अपने सरो की चडा जायेंगे। दिल में यह सुलगता जज्वा सजाए रहे। तब यकीनन महाकवि राजेंद्र अनुरागी के इन शब्दों को दोहराते हम गर्व अनुभव कर सके।
आज मेरा देश सारा लाम पर है
जो जहा है वतन के काम पर है। जय हिंद।

pankaj pateriya
पंकज पटेरिया, वरिष्ठ पत्रकार
कवि संपादक शब्द ध्वज

9340244335, 9407505691

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