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विशेषज्ञ देंगे कठपुतली बनाने (Puppet making) और स्क्रिप्ट लिखने (Script writing) की ट्रेनिंग

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विज्ञान संचार (Science communication) पर पांच दिवसीय कार्यशाला आज से

लोक संचार (Public communication) के माध्यम से विज्ञान प्रसार के लिए भारत सरकार की पहल

सर्च एंड रिसर्च डवलपमेंट सोसायटी कर रही आयेाजन

होशंगाबाद। प्रदेश के सुदूर अंचलों तक विज्ञान प्रसार (Science communication) और भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों के जन जागरण के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिक मंत्रालय भारत सरकार प्रायोजित पांच दिवसीय विज्ञान संचार कार्यशाला का आज से होशंगाबाद से शुरू होने जा रही है। कार्यशाला में कठपुतली (Puppet) जैसे लोक संचार के पारंपरिक माध्यमों से विज्ञान प्रसार की बारीकियां सिखाई जाएंगी। 31 अक्टूबर तक वाली इस कार्यशाला आयोजन श्रीविद्या स्कूल, हनुमान नगर, रसूलिया में किया जा रहा है।

कार्यशाला का आयोजन भोपाल की सर्च एंड रिसर्च डवलपमेंट सोसायटी (Search and Research Development Society) द्वारा किया जा रहा है। सोसायटी के सचिव डॉ. अनिल सिरवैया (Dr. Anil Sirwaiya) ने बताया कि पांच दिवसीय कार्यशाला में कठपुतली बनाने का विशेष प्रशिक्षण देने के लिए विषय-विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे। ज्ञान-विज्ञान और जागरूकता से जुड़े विषयों पर स्क्रिप्ट राइटिंग (Script Writting) का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए भी प्रोफेशनल स्क्रिप्ट राइटर (Professional script writer) और विशेषज्ञ प्रतिभागियों का मार्गदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि यह सभी विशेषज्ञ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय साथ कई वर्षों से विज्ञान संचार के लिए कार्य कर रहे हैं। कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधि, स्थानीय कॉलेज के प्राचार्य एवं शिक्षक सहित अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद रहेंगे।

ये होंगे प्रतिभागी
कार्यशाला में स्कूल एवं कॉलेज के शिक्षक, यूजी और पीजी के विद्यार्थी, रिसर्च स्कॉलर, पत्रकार, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, सामाजिक कार्यकर्ता तथा आंगनबाड़ी एवं आशा कार्यकर्ता भाग ले सकते हैं।

अंतिम दिन होगा म्यूजिकल कठपुतली शो
कार्यशाला में समापन अवसर पर अंतिम दिन म्युजिकल कठपुतली शो (Musical puppet show) होगा। इसमें प्रतिभागियों द्वारा बनाई गई कठपुतलियों और लिखी गई स्क्रिप्ट पर आधारित होगा।

विज्ञान संचारक बनेंगे प्रतिभागी
सोसायटी के सचिव डॉ. सिरवैया ने बताया कि कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद प्रतिभागी विज्ञान संचारक के रूप में कार्य कर सकेंगे। वे शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण अंचलों में आमजनों को सामान्य विज्ञान के साथ-साथ वैश्विक महामारी कोरोना जैसी महामारियों से बचाव के प्रति जागरुक कर सकेंगे। साथ ही वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रयोगों की जानकारी देकर आजीविका विकास की दिशा में कार्य कर सकेंगे।

इसलिए जरूरी है विज्ञान संचार
ग्रामीण क्षेत्रों और सुदूर आदिवासी अंचलों में रहने वाले आमजनों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और विज्ञान के जरिए शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक विकास में विज्ञान संचारकों महत्वपूर्ण भूमिका है। लोक संचार के पारंपरिक साधनों से यह काम आसानी से किया जा सकता है। इसमें बताया जाएगा कि किस तरह सुबह जागने से लेकर रात को सोने तक विज्ञान हमारे साथ चलता है। छोटी सावधानियों और उपायों से कैसे बीमारियों से बचा जा सकता है। छोटी-छोटी तकनीकों के माध्यम से कैसे हम हमारे कामों को आसान बना सकते हैं।

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