बिन बिजली सब सून, संकट में खेत और किसान

Poonam Soni

इटारसी। पर्याप्त बिजली नहीं मिली तो किसान आंदोलन की ओर जा सकता है। सरकार चाहे लाख दावे करे, कि प्रदेश में बिजली का संकट नहीं है, लेकिन वास्तविकता के धरातल पर संकट अब स्पष्ट दिखाई देने लगा है। किसान बिजली नहीं मिलने से परेशान है, उस पर बारिश भी नहीं हो रही है जिससे उनकी धान की फसल पर संकट के बादल छाने लगे हैं। बिजली अधिकारियों का कहना है कि ग्रिड से फ्रिक्वेंसी कम होने से पूरे मप्र में लोड शेडिंग चल रही है।
ग्रामीण अंचलों की अपनी कहानी है। हर जगह एक सी स्थिति नहीं है। कहीं आठ घंटे बिजली मिल रही है तो कहीं इतनी भी नहीं। बारिश नहीं होने से बिजली का संकट है, यह अधिकारी मान तो रहे हैं, लेकिन खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। धुरपन फीडर से जुड़े किसानों का कहना है कि उनको महज चार घंटे बिजली मिल पा रही है। जमानी में हालात चार दिन पूर्व तक बेहद खराब थे। बीते दो दिन में बारिष ने किसानों की हिम्मत बढ़ाई, लेकिन अब फिर से धूप और गर्मी का मौसम हो गया है जो फसल के मुताबिक नहीं है। क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन ने चेतावनी दे दी है कि यदि हालात नहीं सुधरे तो संगठन किसानों को साथ लेकर बड़ा आंदोलन कर सकता है।
संगठन के जिलाध्यक्ष हरपाल सिंह सोलंकी (District President Harpal Singh Solanki) ने कहा कि धुरपन फीडर से किसानों को मुश्किल से रात में चार घंटे बिजली मिल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को दस घंटे बिजली देने का दावा किया था, परंतु महज चार घंटे ही बिजली मिल पा रही है। किसानों ने धान में ज्यादा लागत लगा दी है, ऐसे में किसानों को बिजली नहीं मिली तो उसको बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है, और किसान कर्जे में हो जाएगा। वैसे भी किसान पहले से ही कर्जदार हैैै। एक तो महंगाई चरम सीमा पर है, फिर भी सरकार को कुछ समझ नहीं आ रहा है। यदि एक-दो दिन में बिजली की व्यवस्था ठीक नहीं की गई तो क्रांतिकारी किसान मजदूर संगठन उग्र आंदोलन करेगा एवं बिजली कार्यालय का घेराव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि धुरपन फीडर में 315 का ट्रांसफार्मर लगाकर तत्काल बिजली की व्यवस्था सुचारू कराई जाए जिससे किसानों को पर्याप्त बिजली मिल सके। नहीं तो किसान अपना आपा खो देंगे और हजारों की तादात में किसान रोड पर आकर आंदोलन करने के लिए मजबूर हो जाएगा।
भारतीय किसान संघ के प्रवक्ता रजत दुबे कहते हैं कि कटौती हो रही है। न खेत को पर्याप्त बिजली मिल रही है और ना ही गांव में घरों को। सब स्टेषन से भी बार-बार ट्रिपिंग की समस्या आ रही है। खेत को दस घंटे बिजली मिली चाहिए, लेकिन मिल रही है केवल सात घंटे। धान सूखने की कगार पर है। अभी दो दिन कुछ बारिष होने से राहत है। लेकिन, पानी नहीं गिरा तो किसान बर्बाद हो जाएगा। उन्होंने बताया कि वे हाल ही में रूपापुर गये थे, वहां देखा कि गांवों में भी तीन से चार घंटे की कटौती चल रही है। ग्राम रोहना के किसान रूपसिंह राजपूत ने बताया कि बिजली कटौती का कोई शेड्यूल ही नहीं है। कब जाएगी, कब आएगी पता ही नहीं रहता है। बिना सूचना के कटौती हो रही है। खेतों के लिए 6-7 घंटे बिजली मिल रही है तो गांव में भी बिजली का होना निश्चित नहीं है।

इनका कहना है…
जी हां, ग्रिड की फ्रिक्वेंसी कम होने से पूरे मध्यप्रदेश में ही लोड वाले क्षेत्रों में लोड शेडिंग चल रही है।
पूनम तुमराम, डीई

 

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