विशेष : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब आए थे इटारसी… पंकज पटेरिया

विशेष : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब आए थे इटारसी… पंकज पटेरिया

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Father of the Nation Mahatma Gandhi)विदेशी हुकूमत से देश को आजादी दिलाने समूचे देश में आजादी आंदोलन की अलख जगाते घूम रहे थे। राष्ट्रपिता को राष्ट्रभक्त अमर सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (Subhash Chandra Bose)ने फादर ऑफ नेशन कहा था, तो गुरुवर रविन्द्र नाथ टैगोर (Ravindra Nath Tagore) ने महात्मा संबोधित कर श्रद्धा भाव व्यक्त किया था। बापू अनेक बार मध्यप्रदेश के दौरे पर भी आए। उसी दौरान बापू नर्मदाअंचल के विभिन्न नगरों मे भी आए।
बापू का व्यक्त्तिव ऐसा अदभुत आभामय कि वे जहा जाते पलक पावड़े बिछाए हुजूम उमड़ पड़ता। वे इसी दौरान रेलो की रानी इटारसी आए थे। जाहिर है इटारसी रेलवे प्रमुख जंक्शन (Itarsi Railway Junction)है, जहाँ से देश की चारो दिशाओ में ट्रेन जाती, गाड़ी बदलने यहा उतरना होता।
इटारसी के साहित्यकार भाई विनोद कुशवाहा (Vinod Kushwaha) बताते हैं बापू पहले पहल दिसम्बर 1933 में इटारसी आए थे। बापू ने तब जिस विशाल मैदान में आमसभा को संबोधित किया था वहीं बाद में राष्ट्रपिता की प्रतिमा स्थापित की गई और उसे ही आज गांधी ग्राउंड (Gandhi Ground Itarsi) कहा जाता है। इधर स्टेशन के सामने स्थित गोठी धर्मशाला (Gothi Dharamshala)से विदा होते हुए बापू ने रजिस्टर में आश्रय देने के लिए संचालकों के प्रति आभार व्यक्त किया था। उस पेज को फ्रेम कराकर वयोवृद्ध गांधीवादी विचारक समीरमल गोठी (Sameermal Gothi) ने टंगवा रखा है, उस पर बापू के हस्ताक्षर के साथ 02 दिसम्बर 1933 की तारीख अंकित है।
एक और वयोवृद्ध गांधीवादी शिखर चन्द्र जैन (Shikharchand Jain) ने फोन पर बताया, बापू ने एक और सभा जिस मैदान में ली थी उसे पटवा बाजार (Patwa Bazar, Itarsi) कहते है। यहां उमड़े जन समुदाय में लोगो को आटोग्राफ दिए थे,ओर लोगो ने अपनी इच्छा से एक आना,दो आना को सहयोग बतौर भेंट किए थे।
एक और महत्वपूर्ण घटना बापू के नगर आगमन की है। गांधी जी नोआखली में भडके दंगों को शांत कराने जा रहे थे। 30 जनवरी 1948 के आसपास की बात है। इटारसी स्टेशन पर गाड़ी रुकते ही जिंदाबाद के नारो से स्टेशन गूंज उठा। बापू भीड़ को शांत कराते हुए अपने कम्पार्टमेंट में चढ़ गए, तभी स्वाधीनता संग्राम सेनानी सुकुमार पगारे (Sukumar Pagare) की स्वाधीनता सेनानी पत्नी सरस पगारे (Smt. Saras Pagare) हाथ में सूत की माला लिए फुर्ती से डिब्बे में चढ़ी और जल्दी से माला बापू को पहना दी,ओर चलती ट्रेन से प्लेटफार्म पर उतर गई। बापू ने गुजराती में पूछा- सु छे यानी तुम कौन हो? श्रीमती पगारे ने उत्तर दिया में सरस बहन, बापू। इसके अलावा बाबई ओर हरदा नगर भी बापू गए थे। 08 दिसम्बर 1933को गांधी जी के शुभागमन पर हरदा वासियों ने गरम जोशी से स्वागत किया, स्वागत से अभिभूत बापू ने हरदा को हृदय नगर नाम दिया। इधर हरिजन छात्रावास में बापू ने चरखा चलाया। यहा लोगो ने बापू को 1633 रुपए 15आने की थैली और मान पत्र भेंट किया।

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पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार कवि
संपादक शब्द ध्वज
9893903003

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