इटारसी। लोकगीत किसी भी भाषा के लोकसाहित्य का महत्वपूर्ण अंग होते हैं, ये आम लोगों की वे रचनाएं होती हैं जो आम लोक परंपराओं में सहज ही शामिल हो जाती हैं। यह बात वरिष्ठ सिन्धी साहित्यकार भगवान बाबाणी ने सिंधी साहित्य अकादमी मप्र द्वारा आयोजित सुहिणा सिन्धी नामक कार्यक्रम में ‘लोक परम्पराओं में सिन्धी लोकगीतÓ विषय पर व्याख्यान देते हुए कही।
पूज्य पंचायत सिंधी समाज इटारसी एवं भारतीय सिंधु सभा शाखा इटारसी के सहयोग से वर्धमान स्कूल परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम का आरंभ अकादमी के निदेशक राजेश कुमार वाधवानी, पंचायत अध्यक्ष धर्मदास मिहानी, भारतीय सिंधु सभा इटारसी के अध्यक्ष गोपाल सिद्धवानी तथा महिला शाखा अध्यक्ष पूनम चेलानी ने वरुणावतार श्री झूलेलाल जी, मां सरस्वती व गणेश जी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के साथ किया। अकादमी निदेशक राजेश वाधवानी ने अपने उद्बोधन में अकादमी की गतिविधियों की जानकारी देते हुए युवा पीढ़ी से कथित आधुनिक संगीत की अपेक्षा स्वभाषा में रचित लोकगीतों को प्राथमिकता देने का आव्हान किया।

इसके बाद राजस्थान के खैरथल से पधारे श्री कल्याण म्यूजिकल समूह के दीपक कुमार लखवानी के साथ सिमरन रोघा नवीन पुरुषार्थी, ऋतिक मदान, कशिश पेशवानी, नंदनी शर्मा, मानव हल्दवानी, जीतेन्द्र कुमार, विजय शिवदासानी एवं साथियों ने एक से बढ़कर एक मधुर सिन्धी लोकगीतों प्रस्तुति दी। वरुणावतार श्री झूलेलाल जी की स्तुति ‘जागंदी रहे ज्योति झूलण जी सदाईं.., से शुरुआत करते हुए उन्होंने ‘सिक में ओ सिक में…, ‘आंधीअ में ज्योति जगाइण वारा सिन्धी.., ‘तुहिंजे शहर में आयुसि किस्मत सां.., सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। भगत कंवरराम जी पर आधारित भजनों की सुमधुर प्रस्तुति से सभी को भक्ति भाव मे डुबो दिया।
इस अवसर पर भगवान बाबाणी के व्याख्यान पर आधारित कुछ प्रश्न भी उपस्थित श्रोताओं से पूछे गए जिनका सही उत्तर देने वालों को पुरस्कृत भी किया। इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से श्रीचंद खुरानी, अटल राय चेलानी, श्याम शिवदासानी, सोनू परियानी, नंद चेलानी, गौरव फुलवानी, विजय मनवानी, महेश नंदवानी, विशाल गगलानी, सौरव शिवनानी, श्रीचंद चावला, महेश वलेचानी, अशोक गुरबानी, सुरेश नंदवानी, वर्धमान स्कूल के संचालक प्रशांत जैन एवं भारी संख्या में समाज के लोग उपस्थित थे। समापन पल्लव अरदास के साथ हुआ। संचालन मनोहर सुदरानी ने और आभार गोपाल सिद्धवानी ने व्यक्त किया।