नहीं रहे सरताज सिंह जी…तालाब, कमल के फूल और बाबू जी

Post by: Manju Thakur

Sartaj Singh Ji: A virtuous memory Babuji and Dak Saheb

: पंकज पटेरिया –
भाजपा के कद्दावर नेता भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री और कभी नगरपालिका इटारसी के लोकप्रिय नगर पालिका अध्यक्ष बाबू सरताज सिंह जी हमारे बीच से आज विदा हो गए। वे एक राजनेता के साथ ही, एक बेहद सरल, सौम्य, परोपकारी और सच्चे समाजसेवी व्यक्ति थे।
जानकारी के मुताबिक राजनीति में पहले पहल वे प्रख्यात सांसद और संविधान सभा की एक सदस्य रहे कामथ जी के संपर्क से आए थे। वे स्वयंसेवक भी थे। संघ के प्रतिष्ठित व्यक्ति और बाद में भाजपा के विधायक और लोकप्रिय राजनेता रहे। कीर्ति शेष हरि नारायण जी अग्रवाल, नर्मदा प्रसाद जी सोनी सुक्कू भैया, (विधायक) लीलाधर जी अग्रवाल, रामेश्वर जी आर्य गया प्रसाद गौर, चेन्नई भैया और मेरे बड़े भाई केशव प्रसाद पटेरिया और अन्य मित्रों के साथ जनसंघ के समर्पित कार्यकर्ता हो गए थे। बड़े भैया केशव भाई साहब के सहपाठी भी थे,और बहुत आत्मीय संबंध रखते थे।
कांग्रेस के दबदबे के दौरान भी वे अकेले ऐसे व्यक्ति थे जो अपनी दमखम से नगर पालिका अध्यक्ष चुने गए थे। और बहुत लोकप्रिय हुए। अपने कार्यकाल में बाबू सरताज सिंह जी ने इटारसी में शहर हित में कई महत्वपूर्ण काम किए थे। सड़क, बिजली, पानी, सफाई के अलावा एक बेहद महत्वपूर्ण काम इटारसी की खूबसूरती में चार चांद लगाने उन्होंने किया था। वह इटारसी की धड़कन रहा प्राचीन तालाब जब सीमिट सिकुड़ रहा था, बाबूजी ने उसकी गाद, सिल्ट निकलवा कर, तालाब के बीचों कमल के फूल का रंगीन फुहारा बनवाया था और पूरे तालाब में लाल कमल के फूल लगवाए थे। इस काम से नगर के सौंदर्य में अद्भुत श्री शोभा सुषमा का इंद्रधनुष उतर आया था। सिंन्दुरी शाम वहां से गुजरते हुए थके हारे मन को बड़ा सुकून मिलता था।
लोकप्रिय विधायक डा सीताशरण शर्मा उन्हें अग्रजवत सम्मान देते थे। एक बार नगरपालिका द्वारा गांधी ग्राउंड में उन्होंने विराट कवि सम्मेलन का आयोजन करवाया था। जिसमे देश के लोकप्रिय कवि नीरज जी, रामस्वरूप सिंदूर, चंद्रसेन विराट आदि सहित मेरे एक और बड़े भाई जो आकाशवाणी भोपाल में सेवारत थे, स्वर्गीय मनोहर पटेरिया मधुर भी आमंत्रित थे।
मैं पत्रकार के नाते कार्यक्रम को कवर करने और मधुर भाई साहब से मिलने इटारसी गया था। वहां गांधी ग्राउंड में वरिष्ठ पत्रकार प्रेम शंकर जी दुबे मिले उन्होंने कहा केवल कवर करने आए हो या कविता भी सुनाओगे? मैंने उत्तर दिया था कवि के रूप में नहीं पत्रकार के रूप में आया हूं। उन्होंने जवाब दिया यह क्या बात हुई हुई, तुम कवि भी हो कविता भी सुनाओगे और उन्होंने बिना देर किए सरताज सिंह जी के पास मुझे मंच पर कविता सुनाने आमंत्रित करने का संदेश दे दिया। अगले ही पल मेरा नाम माइक से स्वयं बाबूजी कविता पाठ के लिए पुकार रहे थे। मैं मंच पर गया और उन दिनों का बेहद लोकप्रिय मेरा गीत मेहनत की गंगा ही कलमश धोती है, सुनाने लगा। बाद में कवियों के साथ मुझे भी पारिश्रमिक बाबूजी ने अपने हाथ से प्रदान किया था।
कुछ इस तरह के सरल और अपनेपन से बाबू जी आपसदारी निभाते थे। राजनीति में रहते हुए उनकी छवि बेदाग रही।
बाबूजी बहुत याद आएंगे, बाबूजी की स्मृति को शत शत नमन।
पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार

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