सुग्रीव से मित्रता और बाली का वध रावण के अंत का कारण बना- आचार्य रामकृष्णाचार्य
इटारसी। श्री द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक में श्री राम जन्मोत्सव समिति के द्वारा 60 वे वर्ष में आयोजित श्रीराम कथा महोत्सव में व्यास पीठ पर श्रीश्री 1008 युवराज स्वामी श्री रामकृष्णाचार्य ने कथा प्रसंग को विस्तार देते हुए कहा कि प्रभु श्री राम लक्ष्मण जी और माता सीता वन गमन के दौरान ऋषिमुख पर्वत के समीप पहुंचे सुग्रीव को आशंका हुई यह कहीं बालि के द्वारा भेजे गए दूत ना हो। हनुमान जी ब्राह्मणों का भेष बनाकर राजकुमारों के पास पहुंचे और उन्हें देखकर हनुमान जी ने कहा की आप बीहड़ जंगलों में नंगे पांव चल रहे हैं, साधारण व्यक्ति नहीं हो सकते। जरूर आप ईश्वर का अवतार हैं।
प्रभु श्रीराम ने हनुमंत लाल से कहा कि हम महाराजा दशरथ अयोध्या के पुत्र हैं और पिता की आज्ञा मानकर वन में आए हैं। हनुमान जी ने सभी तरह से संतुष्ट होने के बाद वानर राज सुग्रीव से राम जी का परिचय कराया। सुग्रीव ने अपनी सारी व्यथा बताई किस तरह उसका बड़ा भाई बाली उसे परेशान कर रहा है, जिसके कारण छुपकर वे यहां पर हैं। बनाई गई योजना के अनुसार प्रभु श्री राम ने बाली का वध किया सुग्रीव से मित्रता की, जो अंतत: रावण वध के परिणाम तक पहुंची। आचार्य ने कहा कि बाली के वध के बाद उसकी पत्नी तारा बहुत विकल हुई, तब प्रभु श्री राम ने उसको जीवन और मरण की सही बात बताई जो तारा ने स्वीकार की। आचार्य ने कहा कि रावण की लंका को बर्बाद करने और रावण के सर्वनाश के लिए सुग्रीव और उनके साथ हनुमान बड़े योद्धा के रूप में मिले और प्रभु श्री राम इस बात के लिए आश्वस्त हो गए की वानरों की मदद से वह लंका विजय कर लेंगे।
उन्होंने कहा कि जामवंत से सलाह लेकर सुग्रीव ने हनुमान जी को लंका जाकर सीता माता का पता लगाने भेजा। प्रभु का नाम लेकर हनुमान जी तेज गति से वायु मार्ग से लंका के लिए रवाना हुए रास्ते में जो भी आये, हनुमान जी ने उनका नाश किया और लंका की ओर प्रस्थान किया। आचार्य ने कहा कि हनुमान जी ने अशोक वाटिका में पहुंचकर माता सीता को प्रभु श्रीराम द्वारा दी गई मुद्रिका दी। माता सीता ने अपना चूड़ामणि हनुमान जी को दिया। माता सीता की आज्ञा पाकर उन्होंने फल खाने अशोक वाटिका के आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण किया और पूरे फलों से लदे बगीचे नष्ट कर दिये। हनुमान जी ने अक्षय कुमार का वध किया। मेघनाथ उन्हें नागपाश में बांध कर रावण की सभा में ले गया। हनुमान जी की पूंछ में आग लगाई गई। परिणाम यह हुआ कि केवल विभीषण का घर छोड़ कर हनुमान जी ने सोने की लंका में आग लगा दी। आचार्य रामकृष्णाचार्य ने हनुमान जी की कथा विस्तार से बताई।
समिति के प्रवक्ता भूपेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि कथा में समिति के अध्यक्ष सतीश अग्रवाल सावरिया, रमेश चांडक,कार्यकारी अध्यक्ष जसवीर सिंह छाबड़ा, सचिव अशोक शर्मा, कोषाध्यक्ष प्रकाश मिश्रा सहित अतिथि के रूप में पधारे जम्मूसिंह उप्पल, शिव भारद्वाज, राहुल शरण, मनोज तिवारी, अजय दुबे, ओमप्रकाश पटेल, अभिषेक नामदेव, राहुल अग्रवाल, घनश्याम तिवारी, अभिनव शर्मा, ठाकुर शिवनाथ सिंह, राजेश जैन कादर, प्रहलाद बंग, श्रीमती विनिता चांडक, श्रीमती रेखा शर्मा, श्रीमती माला शर्मा, श्रीमती सुमन बांगड़ ने पुष्पहार से स्वागत किया। कथा के दौरान द्वारिकाधीश बड़ा मंदिर तुलसी चौक का पूरा परिसर खचाखच भरा था।
बता दं कि श्री द्वारकाधीश बड़ा मंदिर की इस भव्य रामकथा में बड़ी संख्या में सूरत गुजरात, कटनी, सतना, हरदा, इटारसी, सिवनी मालवा, पिपरिया, बेतूल, नर्मदा पुरम क्षेत्रों के महिला पुरुष श्रोता आ रहे हैं। समिति के द्वारा सभी की व्यवस्था की जा रही है। संगीत कलाकार सुनील साहू ने बांसुरी पर संगत दी। तबले पर संजू अवस्थी, बैंजो पर मिथिलेश त्रिपाठी ने संगत दी भजनों की सुमधुर प्रस्तुति सुश्री ललिता ठाकुर ने की।