
गजल: हर ख़्वाब है तुझ से वाबस्ता
हर ख़्वाब है तुझ से वाबस्ता।
हर मंजिल का बने तुम रास्ता।।
हर सांस में बसा इश्क का कतरा,
हर शाम है जैसे गज़ल का मिसरा।
हर भीगे अहसास में है आशिकी,
हर लफ़्ज़ बन गया है मौसिकी।
हर आईने में है तेरा ही अक्स,
हर पल है दिल में समां-ए-रक्स।
हर जानिब बस उनकी रनाईयां,
हर पल चाहत ले अंगड़ाईयां।
अदिति कपूर टंडन
आगरा
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