इटारसी। मां चामुण्डा दरबार भोपाल के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे (Guru Pandit Ramjivan Dubey) हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का विशेष महत्व है। भाद्रपस मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) मनाते हैं। सभी देवों में प्रथम आराध्य देव श्रीगणेश की पूजा करने और उन्हें प्रसन्न करने का त्योहार इस साल 10 सितंबर से शुरू हो रहा है। इस दिन भगवान गणेश विराजेंगे और 19 सितंबर यानी अनंत चतुर्दशी के दिन उन्हें विदा किया जाएगा। भगवान गणेश की कृपा से सुख-शांति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन व्यक्ति को काले और नीले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। इस दिन लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।
गणेश चतुर्थी 2021 पूजन का शुभ मुहूर्त
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)पूजन का शुभ मुहर्त दोपहर 12ः17 बजे शुरू होकर और रात 10 बजे तक रहेगा। गणेश चतुर्थी पर 11: 09 मिनट से रात 10: 59 मिनट तक पाताल निवासिनी भद्रा रहेगी। ऐसा माना जाता है कि यह स्थिति धन देने वाली है। भद्रा का असर गणेशजी को विराजित करने और उनकी पूजा करने पर नहीं पड़ता है इसलिए निसंकोच पूजन किया जा सकता है।
भद्रा का दोष नहीं माना जावेगा
गणेश चतुर्थी के दिन न करें चंद्रमा के दर्शन- मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। अगर भूलवश चंद्रमा के दर्शन कर भी लें, किसी के मकान की छत पर या जमीन से एक पत्थर का टुकड़ा उठाकर पीछे की ओर फेंक दें।
भगवान गणेश को लगाएं भोग
गणेश जी (Ganeshji) को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं। कहते हैं कि गणपति जी को तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए। मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लंबोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था। गणेश चतुर्थी के दिन प्रात: काल स्नान-ध्यान करके गणपति के व्रत का संकल्प लें। इसके बाद दोपहर के समय गणपति की मूर्ति या फिर उनका चित्र लाल कपड़े के ऊपर रखें। फिर गंगाजल छिड़कने के बाद भगवान गणेश का आह्वान करें। भगवान गणेश को पुष्प, सिंदूर, जनेऊ और दूर्वा चढ़ाएं। इसके बाद गणपति को मोदक लड्डू चढ़ाएं, मंत्रोच्चार से उनका पूजन करें। गणेश जी की कथा पढ़ें या सुनें, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।