गोपाष्टमी शुक्रवार 12 नवंबर को मनाई जाएगी

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार चराई थी गाय

इटारसी। मां चामुण्डा दरबार भोपाल के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे ने बताया की आज कार्तिक शुक्ल पक्ष गोपाष्टमी (Gopashtami 2021) शुक्रवार 12 नवंबर को मनाई जाएगी। यह मथुरा, वृंदावन और ब्रज के अन्य क्षेत्रों में प्रसिद्ध त्योहार है। गोपाष्टमी पर गायों और उनके बछड़े को सजाया जाता है। कार्तिक माह (Kartik maah) की प्रतिपदा को भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज वासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। सिद्धपीठ दंडी स्वामी मंदिर से आचार्य सोहन वेदपाठी जी ने गोपाष्टमी के महत्व पर बताया कि इस दिन गोवर्धन, गाय और बछड़े तथा गोपाल की पूजन का विधान है। शास्त्रों में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन गायों को भोजन खिलाता है, उनकी सेवा करता है तथा सायंकाल में गायों का पूजन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

जिस प्रकार एक मां अपनी संतान को हर सुख देना चाहती है, उसी प्रकार गोमाता भी सेवा करने वाले जातकों को अपने कोमल हृदय में स्थान देती हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। ऐसी मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गोसेवा करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता। गाय माता का दूध, घी, दही, छाछ और यहां तक कि उनका मूत्र भी स्वास्थ्यवर्धक होता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हम गोमाता के ऋ णी हैं और हमें उनका स मान और सेवा करनी चाहिए।

इन जगहों पर होगा गोपूजन:

शुक्रवार को गोपाष्टमी पर्व शहर के विभिन्न गोशालाओं सहित मंदिर प्रांगण में मनाया जाएगा।
गोपाष्टमी की कथा: भगवान कृष्ण ने गोपाष्टमी से ही गौ चरण लीला की शुरुआत की थी। इसके पीछे के एक कथा मिलती है। कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण 6 वर्ष के हुए थे, तब उन्होंने अपनी मां यशोदा से कहा था कि मां अब हम बड़े हो गए हैं इसलिए आज से बछड़ों को नहीं बल्कि गायों को चराने जाएंगे। मैया यशोदा ने कहा कि ठीक है इसके लिए तुम पहले अपने बाबा से पूछ लेना।

गोपाष्टमी पूजा विधि:

इस दिन गाय और उसके बछड़े को स्नान कराना चाहिए। फिर उनका श्रृंगार किया जाता है। इस दिन लोग गायों को तरह तरह के आभूषणों से सजाते हैं। इस दिन गाय के सींगों पर चुनरी बांधने की भी परंपरा है। गाय का गन्ध पुष्पादि आदि से पूजन करें। गोपाष्टमी व्रत कथा जरूर सुनें। गायों को भोजन कराएं। उनके पैर छूकर आशीर्वाद प्राप्त करें। गाय के मस्तक पर तिलक लगाएं। हाथ जोड़कर गाय की परिक्रमा करें। गाय माता की आरती उतारें और भोग में उन्हें गुड़ खिलाएँ। इस दिन भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है। ग्वालों को इस दिन दान-दक्षिणा दें। गाय को हरा चारा खिलाएं। इस पर्व में गौशाला में खाना और अन्य समान का दान भी करते हैं। मान्यता है ऐसा करने से व्यक्ति का भाग्योदय होता है। गाय के शरीर में समस्त देवताओं का वास माना गया है।

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