इटारसी। अपनी मांगों को लेकर शासकीय शिक्षक संगठन 23 अगस्त को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन देगा। ज्ञापन में प्रथम नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता देने की मांग की जाएगी।
संगठन की ओर से कहा गया है कि शिक्षा सेवा में नियुक्त कर्मचारियों की सेवा अवधि सहित क्रमोन्नति और अन्य मांगों को लेकर शिक्षकों की मांग है। शिक्षकों के क्रमोन्नति सहित वरिष्ठता को लेकर लगातार संवर्ग के द्वारा आंदोलन में कदम उठाने की चेतावनी दी जा रही है, वहीं शासकीय शिक्षक संगठन द्वारा संवर्ग की सेवा अवधि की गणना नियुक्ति दिनांक से करने की मांग है। शासकीय शिक्षक संगठन ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि हमारे संवर्ग की मांगों का स्थाई निराकरण किया जाए।
शासकीय शिक्षक संगठन का मानना है कि शिक्षाकर्मी, गुरुजी संविदा शाला शिक्षक से अध्यापक पद पर संविलियन कर मध्यप्रदेश में कर्मी कल्चर एवं संविदा नियुक्ति पर रोक मध्य प्रदेश की वर्तमान सरकार न ही लगाई थी और कर्मी कल्चर खत्म किया था। वर्तमान में अध्यापक संवर्ग से राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्त के बाद इस संवर्ग की न केवल वरिष्ठता प्रभावित हुई है बल्कि बहुत सी नई दिक्कतें भी हो गई हैं। शासकीय शिक्षक संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष राम मोहन रघुवंशी का कहना है कि संगठन का मुख्य उद्देश्य शिक्षा, शिक्षार्थी, शिक्षालय और शिक्षक का सर्वांगीण विकास है एवं संगठन शिक्षा विभाग को आंदोलन मुक्त रखने का पक्षधर है, परंतु उसके लिए शासन को भी संवर्ग के हितों का ध्यान रखना होगा। संगठन के संभागीय अध्यक्ष राजेश पांडे एवं जिलाध्यक्ष महेश विश्वकर्मा ने बताया कि संगठन संवर्ग की 6 सूत्री मांगों के स्थाई निराकरण को लेकर 23 अगस्त को मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन के नाम एक ज्ञापन जिला कलेक्टर नर्मदापुरम को शाम 5 दिया जाएगा।
ये है मांगें
- – वर्ष 2006 और उसके बाद संविदा शाला शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए ऐसे कर्मचारी जो 12 वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हैं को प्रथम क्रमोन्नति प्रदान की जाए
- – वर्ष 1998 में नियुक्त कर्मचारियों को द्वितीय क्रमोन्नति प्रदान की जाए
- – अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरण बिना शर्त 30 दिनों में निराकृत होने का प्रावधान बने
- – मध्यप्रदेश में भी पुरानी पेंशन योजना लागू की जावे
- – ग्रेजुएटी की सुविधा का पूर्ण लाभ प्रदान किया जाए
- – पद स्वीकृति नहीं मिली है का हवाला देकर मध्य प्रदेश के हजारों नवनियुक्त माध्यमिक एवं प्राथमिक शिक्षकों को मासिक वेतन से तथा उच्च न्यायालय के निर्देश पर अध्यापक संवर्ग से राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्त हुए शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए।