जब उफनती नदी में छलांग मारकर बचाया दो लड़कियों को
इटारसी। मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Governor Anandiben Patel) का शनिवार यानि आज 21 नवंबर को जन्म दिवस (Birthday) है। मध्यप्रदेश में उनके जन्म दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) समेत कई बड़े नेताओं ने शुभकामना संदेश दी। वहीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के जन्म दिवस के मौके पर आपको हम उनसे जुडे कई किस्से आप से साझा कर रहें है। जिसमें उन्होंने अपना बचपन, टीचर से राजनीतिक का सफर कैसा रहा।
गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश की राज्यपाल, आदरणीय श्रीमती @anandibenpatel जी को जन्मदिन पर आत्मीय बधाई!
ईश्वर आपको उत्तम स्वास्थ्य एवं सुदीर्घ जीवन प्रदान करें। आपका ममतामयी स्नेह एवं आशीर्वाद सदैव हम सब पर बना रहे, यही कामना!
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) November 21, 2020
राजनीति में आने से पहले शिक्षक थीं
मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एक तेजतर्रार, सख्त और कुशल प्रशासक है। सख्त नेतृत्व के कारण ही उन्हें आयरन लेडी की संज्ञा मिली थी। राजनीति में आने से पहले वे एक स्कूल में शिक्षक थीं। शिक्षक रहते हुए उन्हें राष्ट्रपति (President) की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है। एक शिक्षक ने अपने कुशल नेतृत्व के दम पर गुजरात की मुख्यमंत्री और अब मध्यप्रदेश की राज्यपाल तक का सफर तय किया है।
एक दुर्घटना ने बना दिया राजनेता
आनंदीबेन के पति मफतभाई पटेल (Mafatbhai patel) मनोविज्ञान के प्रोफेसर व भारतीय जनता पार्टी नेता थे। उनकी वजह से वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) व भाजपा के संपर्क में आई। वह 1987 में औपचारिक तौर पर भाजपा में शामिल हुई और उन्हें पार्टी की महिला मोर्चा की जिम्मेदारी सौंपी गई।
यह किस्सा है रोचक
आनंदी बेन का राजनीति में प्रवेश 1987 में स्कूल पिकनिक के दौरान एक दुर्घटना की वजह से हुआ। जब वे अहमदाबाद के मोहिनीबा कन्या विद्यालय (Mohiniba Girls School) में प्रधानाचार्य थीं। बच्चों को पिकनिक पर ले गई तीं। इसी दौरान दो छात्राएं नर्मदा नदी में गिर गईं। उन्हें डूबता देख आनंदीबेन ने भी उफनती नदी में छलांग लगा दी और दोनों को जिंदा बाहर निकाल कर ले आईं। इस घटना के बाद आनंदीबेन को राज्य सरकार ने वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया था। उस समय आनंदीबेन के पति मफतभाई पटेल गुजरात भाजपा के कद्दावर नेता थे और वे नरेंद्र मोदी के दोस्त थे। तब मोदी और शंकरसिंह वाघेला ने उन्हें भाजपा से जुड़ने और महिलाओं को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित किया। बस उसी साल गुजरात प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष बनकर आनंदीबेन भाजपा में शामिल हो गईं। उस दौर में भाजपा के पास कोई मजबूत महिला नेता नहीं था।
इस घटना ने बनाया निडर नेता
इस घटना के बाद आनंदीबेन एक निडर नेता के तौर पर दुनिया के सामने आईं। साल 2014 में जब मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने जा रहे थेए तब आनंदीबेन पटेल को गुजरात की सत्ता सौंप गए थे। आनंदीबेन को ही गुजरात की पहली महिला होने का गौरव हासिल है।
बचपन- 700 छात्रों में इकलौती लड़की
1. 21 नवम्बर 1941 में उत्तरी गुजरात के खरोड़ गांव में जन्मी आनंदी बेन के बारे में बताया जाता है कि वे ऐसे स्कूल में पड़ती थींए जहां वे अकेली छात्रा थीं और बाकी 700 छात्र पढ़ते थे।
2. उन्होंने स्नातक भी ऐसे कॉलेज से कियाए जहां वह इकलौती छात्रा थी।
3. 1970 से 2000 तक मोहनीबा विद्यालय में प्राइमरी टीचर भी रहीं।
4. आनंदीबेन 1987 में औपचारिक तौर पर भाजपा में शामिल हुई और उन्हें पार्टी की महिला मोर्चा की जिम्मेदारी सौंपी गई।
5. उन्हें पहली बार तब पहचान मिली। जब 1992 में वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने श्रीनगर में एकता यात्रा के दौरान तिरंगा फहराया।
6. उस यात्रा के दौरान वह अकेली महिला नेता थी। दो साल बाद 1994 में वह राज्यसभा सदस्य बनीं। 1998 में वह पहली बार मंडल विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुनी गई।
7. केशूभाई पटेल की सरकार में वह शिक्षा मंत्री के साथ ही बाल व महिला कल्याण मंत्री भी रही। इसके बाद वह लगातार विधायक रही। इस दौरान उनके पास राजस्वए शिक्षा व शहरी विकास जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी रही।