रेलवे स्टेशनों (Railway stations)पर डेड बॉडी की जिम्मेदारी जीआरपी (GRP) की

रेलवे स्टेशनों (Railway stations)पर डेड बॉडी की जिम्मेदारी जीआरपी (GRP) की

डीआरयूसीसी (DRUCC) मेंबर से वाट्सअप मैसेज (Whatsapp message)पर डीआरएम (DRM)ने कहा
इटारसी। पश्चिम मध्य रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक भोपाल का कहना है कि रेलवे स्टेशनों पर डेड बॉडीज की जिम्मेदारी जीआरपी की होती है। किसी भी स्टेशन पर शवगृह का प्रावधान नहीं होता है। इस बारे में रेलवे ने जिला प्रशासन को उचित कार्यवाही हेतु कहा है।
यह बात भोपाल मंडल रेल प्रबंधक उदय बोरवणकर (Uday Borwankar)ने रेल उपयोगकर्ता सलाहकार समिति के सदस्य दीपक हरिनारायण अग्रवाल (Deepak Harinarayan Aggarwal)से सोशल मीडिया (social media)पर हुई चर्चा में कही। डीआरयूसीसी मेंबर दीपक अग्रवाल ने वाट्सअप मैसेज के जरिए रेलवे स्टेशन परिसर में एक यात्री की मौत के बाद चूहों द्वारा उसकी आंखें कुतर जाने की घटना पर संज्ञान लेते हुए उनसे रेलवे स्टेशन पर ऐसी कोई व्यवस्था करने का सुझाव दिया था। श्री अग्रवाल ने कहा था कि यह बेहद दुखद और शर्मनाक घटना है। क्या इटारसी जैसे महत्वपूर्ण रेलवे जंक्शन पर रेलवे अपने यात्रियों के शव सुरक्षित रखने के लिए एक फ्रीजर तक की व्यवस्था नहीं कर सकती? इटारसी रेलवे स्टेशन पर करोड़ों रुपए का व्यवसाय रेलवे करती है, क्या जिम्मेदारों का जमीर इतना मर चुका है कि वो एक लाश को चूहों के कुतरने के लिए छोड़ दें? संपूर्ण मंडल रेलवे विभाग और संबंधित हम सब के लिए अत्यंत शर्मनाक है और तत्काल कुछ कार्यवाही की जाए।
डीआरएम के जवाब के बाद श्री अग्रवाल ने कहा, जीआरपी भी रेलवे का अंग होती है। लेकिन, डीआरएम ने इसे नहीं माना। उनका कहना था कि जीआरपी राज्य सरकार का अंग है। यह नीतिगत विषय है, पार्थिव शरीर की हिफाजत जन स्वास्थ्य नियमों के अनुसार की जाती है। श्री अग्रवाल ने डीआरएम को कहा कि वे जानते हैं, कि जीआरपी राज्य सरकार का अंग है। लेकिन, रेलवे परिसर में होने के कारण वह हमारे मैनेजमेंट क्षेत्र में आता है। उसी तरह जिस तरह से केन्द्रीय संस्थान लॉ एंड आर्डर के लिए राज्य सरकार का विषय है। इस पर डीआरएम ने लिखा कि रेलवे परिसर में कुछ जिम्मेदारियां जीआरपी की हैं, अत: जिला प्रशासन से इस विषय में आवश्यक कार्यवाही हेतु कहा गया है। आखिरकार डीआरयूसीसी मेंबर दीपक अग्रवाल ने ‘ओके, एस यू विश’ (As u wish)कहकर चर्चा बंद कर दी।
इनका कहना है…
डीआरएम से इस विषय में वाट्सअप पर चर्चा की थी। पहले भी कई विषयों पर चर्चा होती रही है और कई मसले सुलझे भी हैं। लेकिन, इस मामले में वे किसी भी स्थिति में यह मानने को तैयार नहीं हैं कि इसमें रेलवे कोई भूमिका निभा सकता है। उन्होंने साफ तौर पर इसे जीआरपी का मामला बताकर पल्ला झाड़ लिया है। हम उच्च स्तर पर भी बात पहुंचाएंगे।
दीपक हरिनारायण अग्रवाल, सदस्य डीआरयूसीसी

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AUTHORRohit

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