महोदय,
हमारे जिले का कभी अभिन्न अंग रहे करीबी जिले हरदा की पटाखा फैक्ट्री में गत दिनों हुए ब्लास्ट से इटारसी तक के दिल दहल गए । इस हृदय विदारक घटना में कितनी जानें गईं इसका कोई हिसाब नहीं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मिलने के लिये आक्रोशित नागरिकों को चक्का जाम तक करना पड़ा लेकिन वे इतने असंवेदनशील हैं कि आम जनता से मिलकर उन्हें सांत्वना देना तक उन्होंने उचित नहीं समझा। अब भोपाल जाकर वे वक्तव्य दे रहे हैं कि किसी को नहीं बख्शा जाएगा। डिप्टी सी एम राजेन्द्र शुक्ल ने भी नर्मदापुरम् में यही रटी-रटाई बात दोहराई है। भाजपा सरकार के एक मंत्री (असफल सांसद) राव उदय प्रताप सिंह ने प्रभावित क्षेत्र का हवा-हवाई दौरा किया और मगरमच्छ के आंसू बहाते हुए वापस लौट गए । हरदा विधान सभा क्षेत्र से ही पूर्व मंत्री कमल पटेल ‘अब’ सक्रिय हुए हैं। इतने सालों से उनकी नाक के नीचे बारूद का ढेर लगा हुआ था मगर उनको उसकी दुर्गंध तक नहीं आई। उन पर विधायक आर के दोगने ने तो ये तक आरोप लगाया है कि फैक्ट्री मालिक को उनका संरक्षण था और कमल पटेल आरोपियों के यहां भोजन भी करते थे। क्षेत्रीय सांसद दुर्गा दास उईके अता-पता-लापता हैं। उन्हें मालूम है कि इस बार पार्टी उनको टिकिट देगी नहीं और यदि जुगाड़ कर के वे टिकिट ले भी आते हैं तो उन्हें किसी भी हाल में जीतना नहीं है। ‘शोभा की सुपारी’ पूर्व सांसद ज्योति धुर्वे की निष्क्रियता भी समझ से परे है। वैसे भी सांसद रहते उन्होंने बैतूल-हरदा क्षेत्र के लिये कुछ नहीं किया। कमलनाथ भाजपा के रास्ते राज्यसभा में जाने की जुगत जमा रहे हैं। तथाकथित ‘राजा साहब’ दिग्विजय सिंह ‘अब’ प्रजा का हाल लेने पहुंचे हैं। उन्होंने प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया। दिग्विजय सिंह ने सर्किट हाउस में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि ‘ये प्रशासकीय तंत्र की विफलता है।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘अगर वे राजनीति की बात करें तो इसकी पूरी जिम्मेदारी पूर्व मंत्री कमल पटेल की है।’ नजदीकी जिले खंडवा के पूर्व सांसद अरुण यादव की फरारी उन्हें कटघरे में खड़ा करती है। इधर कांग्रेस के पूर्व सांसद रामेश्वर नीखरा की बैतूल-हरदा संसदीय क्षेत्र में सक्रियता के अलग मायने निकाले जा रहे हैं। पिछले दिनों वे हरदा जिले के टिमरनी में आयोजित ‘हरिशंकर परसाई जन्मशती समारोह’ में सम्मिलित् होने के लिये विशेष रूप से आए थे। समारोह तो एक बहाना था। साहित्य से उनको क्या लेना-देना। दरअसल वे टिमरनी टोह लेने आए थे कि यहां से क्या संभावना बनती है। हालात ये हैं कि ‘अब’ उन्होंने भी मुंह पर पट्टी बांध रखी है । प्रभावित क्षेत्र में उनके कदम तक नहीं पड़े हैं। हास्यास्पद तो यह है कि रामेश्वर नीखरा का ‘एटीट्यूड’ अभी तक गया नहीं। जबकि वे लोकसभा से लेकर विधानसभा तक का चुनाव बुरी तरह हार चुके हैं।
खैर। दूसरी ओर लगभग डेढ़ लाख मतों से विधान सभा चुनाव हारने के बावजूद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर लदे जीतू पटवारी ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा तो किया लेकिन प्रशासन ने उन्हें बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दी। ये उनकी हैसियत है। हरदा के विधायक डॉ रामकिशोर दोगने भोपाल में गले में पटाखों की माला डालकर फोटो खिंचाने में व्यस्त हैं। यहां ये उल्लेखनीय है कि 2022 में भी हरदा के रिहायशी इलाके में चल रही इस पटाखा फैक्ट्री में गड़बड़ी की शिकायत हुई थी। उस समय हरदा की एस डी एम श्रुति अग्रवाल ने अपनी जांच में फैक्टरी में करीब 11 से भी अधिक गड़बड़ियां पाईं थीं। इनमें सुरक्षा मानकों का पालन न किया जाना भी शामिल है मगर तत्कालीन कमिश्नर माल सिंह ने कोई ठोस एक्शन नहीं लिया। इतना ही नहीं इंदौर में बैठे बयानबाजी कर रहे कमिश्नर मालसिंह ने तो फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल को स्टे तक दे दिया था। जबकि 2015 में भी इसी तरह का एक हादसा हुआ था जिसमें कथित रूप से दो लोग मारे गए थे। देखना ये है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव हादसे के लिये जिम्मेदार अधिकारियों को बचाते हैं या उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करते हैं। कलेक्टर – एस पी को हटाने भर से काम नहीं चलेगा मुख्यमंत्री महोदय । तत्कालीन कमिश्नर , कलेक्टर , एस पी के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए। सनद् रहे कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी हरदा ब्लास्ट की घटना को ‘प्रशासनिक फेल्योर’ माना है। क्या कारण है कि मुख्यमंत्री ने विधानसभा के चालू बजट सत्र में हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट घटना की न्यायिक जांच की मांग खारिज कर दी जबकि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में स्पष्ट लिखा है कि “हरदा की घटना बहुत दुखद है और इसकी गहराई से जांच की जानी चाहिए।” ज्ञातव्य है कि जब विधानसभा में बजट सत्र के अगले दिन प्रश्न काल के बाद हरदा की घटना को लेकर स्थगन पर चर्चा कराई गई तो स्वयं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सदन से नदारत दिखे। दुख का विषय है कि जिन लोगों ने ब्लास्ट में अपनी जान गंवाई है उनके खाते में तो चार लाख चले गये लेकिन हादसे में घायल लोगों को 50 हजार की राहत अभी तक नहीं दी गई है। कहा जाता है कि एन जी टी ने, ‘ब्लास्ट’ में जिनकी मृत्यु हुई है उन्हें 15 लाख तथा घायलों को 5 लाख देने हेतु आदेशित किया है। यदि ऐसा है तो सरकार को तत्काल इस आदेश का पालन करना चाहिये।
- विनोद कुशवाहा
इटारसी ( म. प्र. )
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