खुशहाली जीवन के लिए हरियाली अमावस्या पर इस विधि से करें पूजन जाने सम्पूर्ण जानकारी 2022
हरियाली अमावस्या इस वर्ष कब हैं, हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजन विधि जाने सम्पूर्ण जानकारी
हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya)
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष श्रावण के महीने मे आने वाली हरियाली अमावस्या तिथि को हरियाली अमावस्या या श्रावणी अमावस्या कहा जाता हैं। शास्त्रों में सावन माह की अमावस्या तिथि को विशेष तिथि के रूप में माना जाता हैं। सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती का होता हैं। इसलिए श्रावण माह की अमावस्या को भी बहुत विशेष माना जाता हैं।
इस दिन पूर्वजों के पिंडदान एवं दान-पुण्य के कार्य किए जाते हैं। ऐसी मान्यता हैं इस दिन पवित्र नदी में स्नान करके पितरों को पिंडदान, श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। इसके अलावा हरियाली अमावस्या पर्व जीवन में पर्यावरण के महत्व को भी बताता हैं। इस दिन पूर्वज के नाम पर एक पौधे लगाए जाते हैं।
ऐसी भी मान्यता हैं कि श्रावणी अमावस्या के दिन वृक्षारोपण करने से जीवन के सारे कष्ट दोष दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता हैं। इसके अलावा ये तिथि किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इस दिन किसान खेती में उपयोग होने वाले शस्त्रो की पूजा करते हैं और ईश्वर से अच्छी फसल होने की कामना करते हैं।
हरियाली अमावस्या इस वर्ष कब हैं (When Is Hariyali Amavasya This Year)
- इस वर्ष हरियाली अमावस्या तिथि 28 जुलाई 2022, दिन गुरुवार को हैं।
हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त (Hariyali Amavasya Auspicious Time)
हरियाली अमावस्या प्रारंभ तिथि | 27 जुलाई दिन बुधवार को रात 8 बजकर 20 मिनट से |
हरियाली अमावस्या समापन तिथि | 28 जुलाई दिन गुरुवार को रात 10 बजकर 16 मिनट पर होगा। |
हरियाली अमावस्या का महत्व (Significance Of Hariyali Amavasya)
सावन महीना भगवान शंकर और माता पार्वती का होता हैं। हरियाली अमावस्या के दिन माता पार्वती के साथ भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व हैं। ऐसा माना जाता हैं कि कुंवारी कन्याओं को इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती को लाल वस्त्र अर्पण करने से विवाह में आने वाली सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
हरियाली अमावस्या पर महिलाओ द्वारा हरे रंग के कपड़े पहने का विशेष महत्व हैं इस दिन महिलाएँ झूले झूलती हैं और विभिन्न संस्थाओं पर विशेष आयोजन भी आयोजित किये जाते हैं और वृक्षारोपण किया जाता हैं। यह एक पुरानी परंपरा है हरियाली अमावस्या के दिन एक नये पौधे लगाना शुभ माना जाता हैं।
इस दिन पीपल और तुलसी के पौधे की पूजन का विशेष महत्व हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पीपल के पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनो का वास होता हैं। इस दिन पौधे लगाने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
हरियाली अमावस्या पूजन विधि Hariyali Amavasya Puja Method
- इस दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नानादि करे।
- गंगा जल, नर्मदा जल पूरे घर में छिड़कें।
- इस दिन शिवलिंग पर दूध अभिषेक करना चाहिए।
- अभिषेक के बाद बेलपत्र, समीपत्र, दूब, कुशा, कमल, नीलकमल, जंवाफूल कनेर, राई फूल आदि चढाएं।
- भगवान शिव का ध्यान करे।
- ध्यान के पश्चात ’ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का पूजन करें। आरती कर प्रसाद वितरण करें।
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हरियाली अमावस्या की कथा Story of Hariyali Amavasya
बहुत समय पहले एक राजा के एक बेटा, बहू थे। एक दिन बहू ने चोरी से मिठाई खा लिया और नाम चूहे का लगा दिया। जिसकी वजह से चूहे को गुस्सा आया। चूहे ने मन ही मन निश्चय किया कि चोर को राजा के सामने लेकर आऊंगा। एक दिन राजा के यहां कुछ मेहमान आयें थे। सभी मेहमान राजा के कमरे में विश्राम कर रहे थें।
बदला लेने के लिए चूहे रानी की साड़ी को उस कमरे में रख दिया। जब सुबह मेहमान की उठें और उन्होंने रानी की साडी देखी तो हैरान हो गये। इस बात का राजा को इस बात का पता चला उसने अपनी बहू को महल से निकाल दिया। उसके बाद रानी रोज शाम को पीपल के पेड के नीचे दिया जलाती और ज्वार उगाने का काम करने लगी।
एक दिन राजा उस रास्ते से निकल रहे थे तो उनकी नजर उन दीयों पर पड़ी। राजमहल लौटकर राजा ने सैनिकों को जंगल भेजा और कहा कि देखकर जाओ वहां क्या चीज हैं। सैनिक जंगल में उस पीपल के पेड़ के नीचे गए। उन्होंने वहां देखा कि दीये आपस में बात कर रही थी। सभी अपनी-अपनी कहानी बता रहे थे तभी एक शांत से दीये से सभी ने सवाल किया कि तुम भी अपनी कहानी बताओ।
तभी रानी के दीये ने बताया कि रानी की मिठाई चोरी की वजह से चूहे ने रानी की साड़ी मेहमानों के कमरें में रख दी थी और बेकसूर रानी को सजा मिल गई। बापस आकार सैनिक ने सारी बात राजा को बताई राजा को जैसे ही सारी बात का पता चला उन्होंने रानी को महल में बुलवा लिया और सभी खुशी-खुशी रहने लगे।
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