कार्यशाला में बताए मिलेट्स का इतिहास और फायदे

Post by: Rohit Nage

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इटारसी। आज ईश्वर रेस्टोरेंट (Ishwar Restaurant) में मिलेट्स (Millets) पर कार्यशाला का आयोजन आपसी विचार विमर्श का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ शिक्षाविद काश्मीर सिंह उप्पल (Kashmir Singh Uppal), भाजपा नेता दीपक अग्रवाल (Deepak Agarwal) और पार्षद अम्रता ठाकुर (Amrita Thakur) की उपस्थिति रही। राष्ट्रगान से कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। बागवानी के कमल तोमर (Kamal Tomar) और एस के महालहा (SK Mahalha) जैसे विशेषज्ञों ने कई जानकारी दी।

श्री महालहा ने नियमित कार्य के लिए कृषि उपज में किये जा रहे कार्यों पर बताया कि जैविक खेती और बागवानी सलाह के साथ प्रधानमंत्री मोदी के यह संकल्प के साथ हम साथ कार्य कर रहे हैं। कृषि वैज्ञानिक डॉ दीपक खांडे (Dr. Deepak Khande) ने बताया कि हमारे पूर्वज जो खेती करते थे , मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, कोदों, कुटकी का सेवन करते हैं तो हमारे शरीर के लिए लाभदारी है और उपज से हमारे कृषक को फायदा होता है। खांडे ने बताया कि मिलेट्स में पोषण तो ज्यादा होता है साथ ही स्वाद में भी विशिष्ट होते हैं।

कार्यशाला में आये किसान शिवमंगल सिंह (Shivmangal Singh) ने अपनी बात रखते हुए मांग की हर किसान को अपनी उपज में कम से कम 10 प्रतिशत जगह पर मिलेट्स की खेती करें। कार्यक्रम में जैविक खेती पर डॉ कामिनी जैन (Dr. Kamini Jain) की पुस्तक का विमोचन किया। कृषि वैज्ञानिक डॉ रीता नरवरिया (Dr. Rita Narvariya) ने मिलेट्स के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मिलेट्स सिंधु घाटी की सभ्यता से ही हम भोजन के रूप में उपयोग करते हैं। हमारे जिले में आज भी ज्वार, बाजरा का उत्पादन होता है। डॉ नीता ने बताया कि हमें अब किचिन में मिलेट्स को शामिल करने की जरूरत है।

शिक्षाविद श्री उप्पल और दीपक हरिनारायण अग्रवाल ने भी अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसी क्रांन्ति तो ऐसे छोटे छोटे समूह से होती है। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता मनीष ठाकुर, शिशिर सिंह, शिवमंगल सिंह, महिला मोर्चा की अध्यक्ष जागृति सिंह, संस्कार गौर, कमल तोमर सहित किसान उपस्थित थे।

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