हॉकी के जादूगर को उनकी पुण्यतिथि पर याद किया

– जिला हॉकी संघ ने दी आदरांजलि

इटारसी। जिला हॉकी संघ ने हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को आज शनिवार 3 दिसंबर को उनकी 43 वी पुण्यतिथि पर याद किया। मेजर ध्यानचंद को स्मरण करने आज शाम यहां गांधी मैदान पर खिलाडिय़ों ने एक सादगीभरा कार्यक्रम किया, जिसमें वरिष्ठ खिलाडिय़ों ने नौनिहालों को मेजर ध्यानचंद के देश और हॉकी के लिए दिये योगदान की जानकारी दी तथा उनके हॉकी के प्रति समर्पण से सीख लेकर अपने खेल को निखारने को कहा।

जिला हॉकी संघ के मार्गदर्शक, वरिष्ठ खिलाड़ी एससी लाल ने कहा कि मेजर ध्यानचंद न सिर्फ हिन्दुस्तान बल्कि विश्व हॉकी में इतिहास रचने वाले महान खिलाड़ी थे, जिन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया था। उन्हें न केवल हॉकी का जादूगर के नाम से जाना जाता है, बल्कि उनको प्लेयर आफ द सेंचुरी, हॉकी के पितामह भीष्म जैसे नामों से भी जाना जाता है।

डीएचए के सचिव कन्हैया गुरयानी ने बच्चों को बताया कि मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में मध्यम वर्गीय राजपूत परिवार में हुआ था। उनमें देशसेवा और खेल के प्रति काफी लगाव था। वे छटवी क्लास तक इलाहाबाद में पढ़े और उसके बाद झांसी में रहे। उन्होंने देश को 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक, 1932 लॉस एंजेलिस, 1936 बर्लिन ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाये। बर्लिन ओलंपिक में उन्होंने कप्तान के तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन किया।

खेलों को करीब से देखने और विश्लेषण करने वाले अखिल दुबे ने बच्चों को बताया कि जब मेजर ध्यानचंद खेलते थे तो ऐसा लगता था कि गेंद उनकी स्टिक से चिपक गयी हो। हॉलैंड में एक बार उनकी स्टिक तोड़कर भी देखी थी कि कहीं उसमें चुंबक तो नहीं है। उन्होंने युवा और जूनियर खिलाडिय़ों से मेजर ध्यानचंद से प्रेरणा लेकर खेल के प्रति समर्पण रखने को कहा।

इस अवसर पर हॉकी खिलाड़ी आरिफ खान, शफीक कुरैशी, अमित श्रीवास, मयंक जेम्स सन्नी, अजय अलबर्ट सहित अनेक जूनियर खिलाड़ी और हॉकी फीडर सेंटर में प्रशिक्षण ले रहे नन्हे खिलाड़ी मौजूद रहे। सभी ने मेजर ध्यानचंद के प्रति अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर बच्चों की टीम बनाकर मैत्री मैच भी खिलाये गये। 

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