रोहित नागे, इटारसी :
भारत उत्सवधर्मी देश है। प्रत्येक उत्सव की अपनी मान्यता, अपनी कहानी और परंपरा है जो बड़ी शिद्दत से कही और निभाई जाती है। इन्हीं उत्सवों में एक है, होली। होली आनंदमय उत्सवों की श्रंखला का एक ऐसा पर्व है जो हृदय को उल्लास से भरता और जीवन का एक हिस्सा रंगों से सरावोर कर देता है। होली चूंकि होलिका के नाम पर रखा नाम है, परंतु अंग्रेजी के शब्द से जोड़ें तो यह पवित्र त्योहार है जो दुश्मनी को भुलाकर दोस्ती का रंग गाड़ा करने का संदेश देता है। एक ऐसा संदेश जो हमारे जीवन को बदलने की शक्ति रखता है, क्योंकि होली अपने भीतर की बुराईयों को जलाकर अच्छाई की नई कोपलें उगाने का संदेश देता है।
होली केवल रंगों से एकदूसरे को भिगोने का ही पर्व नहीं बल्कि अपने भीतर की बुराई और नेगेटिव विचारों को जलाकर पवित्र और सकारात्मक विचारों को जगह देने का पर्व है। यह त्योहार आपको आत्मचिंतन करने के लिए प्रेरित करता है। हालांकि आज उसका एक विकृत रूप भी देखा जाता है, लेकिन यह एक प्राचीन और समृद्धशाली परंपरा है जो छिटपुट विकृतियों के कारण अपने सद्मार्ग से डिगने वाला नहीं है। यह आत्मा का शुद्धिकरण करने का पर्व है। होलिका दहन अच्छाई की बुराई पर जीत का पर्व है, जिसमें हिरण्यकश्यप के अहंकार को होलिका दहन के रूप में जलाकर प्रहलाद जैसी अच्छाई को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेने की प्रेरणा है।
होलिका दहन की परंपरा हमें यह बताती है कि अहंकार और अन्याय चाहे जितना ताकतवर हो, नेकी के भाव और ईश्वर में आस्था के आगे वह हमेशा परास्त होता है। होली के इस पर्व से मिलने वाले संदेशों से हम अपने भीतर के नकारात्मक विचारों, मनमुटाव, कड़वाहट, बैर-भाव को हटाकर गुणों से भरपूरा जीवन की राह पर अग्रसर हो सकते हैं। यह हमें आत्मचिंतन करने का अवसर देता है, कि सच्चे प्रेम को अपनाकर जीवन में शर्तों, उम्मीदों, स्वार्थ के भावों का त्याग करें। इस होली लगाएं, अपनत्व के रंग। जीवन को उल्लास से भरें, आत्मा को प्रेम के रंग से भरें, जीवन को सूर्य की तरह प्रकाशवान बनाने, चंद्रमा की तरह शीतलता लाने और अपनी शक्ति का सही उपयोग कर सद्कर्म की ओर उन्मुख हों। शारीरिक बल, बौद्धिकता का इस्तेमाल किसी को सताने, भ्रष्ट आचरण में करके आंतरिक पवित्रता की शक्ति को बढ़ाएं, कमजोरों को सशक्त बनाएं।
इस पर्व हम बाहरी रंगों से तो होली खेलें, साथ ही अपने आत्मा के भीतर भी एक होली खेलें जिसमें अपनी आत्मा को शुद्धता के रंगों से रंगें। इस साल सच्चे अर्थों में होली मनाएं, जो जीवन में वास्तविक खुशी, पावन विचार और एकता को बढ़ाए। जीवन का सार यही है कि समय के साथ हमारे चेहरों के रंग तो फीके पड़ ही जाने हैं, लेकिन यदि सद्गुणों के रंग अपनाएं तो ये कभी फीके नहीं पड़ेंगे बल्कि अपने शरीर की अवस्था कुछ भी हो जाए, ये हमेशा संसार में आपके व्यक्तित्व को दमकाते रहेंगे।

Rohit Nage, 9424482884