354 गांवों के ग्रामीणों ने वनोपज से कमाए करोड़ों रुपए

354 गांवों के ग्रामीणों ने वनोपज से कमाए करोड़ों रुपए

होशंगाबाद। वन विभाग ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपनों को साकार करने की दिशा में कदम उठाकर दूरस्थ जंगलों में रहने वाले आदिवासी और अन्य ग्रामीणों को आर्थिक संपन्नता की ओर बढ़ाया है। इस वर्ष जंगलों में रहने वालों ने वनोपज से ही सात से आठ करोड़ रुपए कमाये हैं। सामान्य वन मंडल के 354 गांवों के ग्रामीणों ने महुआ बेचकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकल और वोकल जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर देश के कुटीर उद्योग व अन्य छुटपुट उद्योगपतियों में जहां जान फूंकने का प्रयास किया वही उनके इस आत्मनिर्भर भारत के संदेश से होशंगाबाद जिला भी अछूता नहीं रहा। आपको बता दें कि सतपुड़ा के जंगलों में विभिन्न प्रजाति की वनोपज व जड़ी बूटियों का प्रचुर मात्रा में भंडार भरा है जो कि प्रकृति की देन है। आंवला, हर्र, बहेड़ा, बेर, बेल, अर्जुन की छाल, चिरौंजी, महुआ, तेंदूपत्ता, गुल्ली, कड़वा चिरायता आदि अनेकों वनोपज यहां के जंगलों में मौजूद है।

ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिलाया
जिले में वनोपज से सालाना करोड़ों का कारोबार होता है। सामान्य वनमडंल के डीएफओ अजय कुमार पांडे ने वनवासियों के जीवन स्तर को सुधारने उन्हें आत्म निर्भर बनाने व रोजगार को सुगमता से उपलब्ध कराने की दिशा में केन्द्र सरकार की ग्रीन इंडिया मिशन के तहत ग्रामीणों को प्रशिक्षित कर उन्हें सिलाई, कम्प्यूटर की ट्रेनिंग व महुआ कलेक्शन के लिए नेट प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल की। एक सैकड़ा से ज्यादा सिलाई मशीन वनग्रामों के ग्रामीणों को प्रदान दी। जिनके सार्थक परिणाम जमीनी स्तर पर दिखाई दे रहे हैं। सामान्य वनमडंल में 200 के लगभग व्यापारियों ने पंजीयन करा कर राज्य जैव विविधता बोर्ड के खाते में खरीदी जाने वाली वनोपज की एक प्रतिशत राशि जो कि 7 लाख रुपए के आसपास है, जमा की जा चुकी है। वहीं व्यापारियों द्वारा नियमानुसार लाभ प्रभाजन की राशि संबंधित वन समिति सह जैव विविधता प्रबंधन समिति के खाते में भी 1फीसद राशि जमाकर ग्रामीणों से वनोपज महुआ खरीदी की जा रही है।

20 हजार क्विंटल से अधिक खरीद
शासन ने महुआ फूल का समर्थन मूल्य 35 प्रति किलो की दर से निर्धारित किया है लेकिन व्यापारियों के बीच प्रतिस्पर्धा होने से समर्थन मूल्य से अधिक 37-38 रुपए प्रति किलो तक ग्रामीणों को मिल रहा है। डीएफओ श्री पांडे का कहना है कि लगभग 200 व्यापारियों ने पंजीयन कराये हंै। अभी तक 20 हजार क्विंटल से अधिक महुआ खरीदी जिले में हो चुकी है जिससे सामान्य वनमडंल के वनग्रामों के महुआ संग्रहणकर्ताओं को सीधे 7-8 करोड़ रुपए नगद मिल रहे हैं। व्यापारी अपने तौल कांटे लेकर इन ग्रामीणों के घरों पर पहुंच रहे हैं और ग्रामीणों को हजारों लाखों रुपए का नगद भुगतान कर महुआ फूल खरीद रहे हैं। जालीखेड़ा के आदिवासी मुकेश व उनकी मां ने बताया कि संयुक्त परिवार का 90 क्विंटल महुआ बेचकर साढ़े 3 लाख रुपए केसला के व्यापारी बनवारी राठौर से प्राप्त किये हैं। इसी तरह दर्जनों ग्रामीणों ने 1 से 2 लाख रुपए तक महुआ बेचा है। वनग्रामों की महिलाएं हजारों कॉटन मास्क बनाकर रोज 4-5 सौ तक कमा रही हैं।

इनका कहना है…!
होशंगाबाद जिले में सालाना वनोपज की पैदावार इतनी है कि कई करोड़ रुपए का टर्न ओवर है। ये करोड़ो रुपए इन ग्रामीणों को सालाना मिल सकते हैं। इस बार सख्ती के कारण इनसे औने-पौने दामों में वनोपज खरीदने वाले बिचौलिए भूमिगत हो गये हैं केवल पंजीकृत व्यापारी ही ग्रामों में जाकर ग्रामीणों से वनोपज महुआ फूल की खरीदी की है।
अजय कुमार पांडेय, डीएफओ

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