Santaan Saptami: संतान की दीघायु, उन्नति और रक्षा के लिए माताएं करेंगी संतान सप्तमी का व्रत

Santaan Saptami: संतान की दीघायु, उन्नति और रक्षा के लिए माताएं करेंगी संतान सप्तमी का व्रत

जानिए शुभ मुहुर्त और पूजा विधि

होशंगाबाद। संतान सप्तमी(Santaan Saptamee) का व्रत भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की सप्तमी को संतान सप्तमी व्रत किया जाता है। यानी 25 अगस्त मंगलवार को यह व्रत किया जाएगा। माताएं अपनी संतान की दीघायु, उन्नति और रक्षा के लिए यह व्रत करेंगी। यह व्रत संतान की प्राप्ति उसकी कुशलता और उन्नति के लिए किया जाता है। संतान सप्तमी के दिन सुबह ज्ल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहनें और भगवान शिव और मां गौरी के समक्ष प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें।

ऐसे करें व्रत (Ese kre vrat)
– अब अपने व्रत की शुरुआत करें और निराहार रहते हुए शुद्धता के साथ पूजन का प्रसाद तैयार कर लें।
– इसके लिए खीर-पूरी व गुड़ के 7 पुए या फिर 7 मीठी पूरी तैयार कर लें।
– यह पूजा दोपहर के समय तक कर लेनी चाहिए।
– पूजा के लिए धरती पर चैक बनाकर उस पर चैकी रखें और उस पर शंकर पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
– अब कलश स्थापित करेंए उसमें आप के पत्तों के साथ नारियल रखें।
– दीपक जलाएं और आरती की थाली तैयार कर लें जिसमें हल्दी, कुंकुम, चावल, कपूर, फूल, कलावा आदि अन्य सामग्री रखें।
– अब 7 मीठी पूड़ी को केले के पत्ते में बांधकर उसे पूजा में रखें और संतान की रक्षा व उन्नति के लिए प्रार्थना करते हुए पूजन करते हुए भगवान शिव को कलावा अर्पित करें।

यह करे धारण

पूजा करते समय सूती का डोरा या चांदी की संतान सप्तमी की चूडी हाथ में पहननी चाहिए।
यह व्रत माता-पिता दोनो भी संतान की कामना के लिए कर सकते हैं।
पूजन के बाद धूपए दीप नेवैद्य अर्पित कर संतान सप्तमी की कथा पढ़ें या सुनें और बाद में कथा की पुस्तक का पूजन करें।
व्रत खोलने के लिए पूजन में चढ़ाई गई मीठी सात पूड़ी या पुए खाएं और अपना व्रत खोलें।

संतान सप्तमी पूजा विधि

स्नान आदि के बाद भगवान शिव और माता गौरी को साक्षी मानकर व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। इसके बाद दोपहर के समय शिव और गौरी की पूजा करें। पूजा स्थान पर चौक बनाकर शिव और गौरी की स्थापना करें। इसके बाद वहां एक कलश स्थापित करें। फिर धूप, दीप, नेवैद्य, फल, पुष्प आदि भगवान शिव और माता गौरी को अर्पित करें। इसके बाद 7 ​मीठी पूड़ी, कलावा आदि भगवान शिव और माता पार्वती को चढ़ाएं। इसके पश्चात एक रक्षा सूत्र अपनी संतान को बांध दें। अब संतान सप्तमी की कथा सुनें। अंत में भगवान शिव और माता गौरी की आरती करें। अंत में उन 7 ​मीठी पूड़ी में से ही स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें तथा पारण कर व्रत को पूरा करें। पूजा के समय अर्पित की वस्तुओं को किसी ब्राह्मण को दान कर दें।

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