
स्कूल संचालकों, बच्चों व अभिभावकों में 5 वीं व 8वीं के बेगारपन को लेकर भारी रोष
इटारसी। बमुश्किल भारी असंतोष के बीच आपाधापी में निर्णय लेकर जारी की गयीं 5 वीं व 8 वीं बोर्ड परीक्षाओं को लेकर सोपास मप्र बोर्ड स्कूलों ने पहले ही विरोध किया था।
सोपास के जिला कार्यकारी अध्यक्ष आलोक राजपूत ने कहा कि जैसे तैसे परीक्षाओं को अमली जामा पहनाया भी जा चुका था उसमें भी कई सेंटरों पर बच्चों को नीचे बैठाने की समस्या रही। फर्नीचर अस्त व्यस्त होने की दिक्कत रही, दूरी अधिक होने से आवागमन की दिक्कत रही, निजी स्कूल के शिक्षकों को उनके बच्चों का मनोबल बढ़ाने बनाये केंद्रों पर जाने तक नहीं दिया गया, 23 के अवकाश से परीक्षा शुरू कर दी गयी, फिर रद्द की गयी। तो अब सोने पे सुहागा उसी अस्त व्यस्त प्रणाली के चलते पहले 3 अप्रैल की परीक्षा के होने के आदेश निकाल दिये गये बाद में उसे रद्द किया जाता है, तो अब आठवीं के बच्चों के संस्कृत के पेपर को रद्द कर पुन: इस बोर्ड परीक्षा का मखौल बनाया जा रहा है।
जिला प्रवक्ता सोपास आलोक गिरोटिया का कहना है कि निजी स्कूलों के व्यवस्थित कार्यक्रम को अस्त व्यस्त कर पहले तो बीच सत्र में बच्चों को दूसरी किताबों से अध्ययन के लिये शिक्षा विभाग ने दबाव डाला, अन्यथा पूर्ण समय अवधि में ही बच्चे परीक्षा देकर परिणाम प्राप्त कर अगली कक्षा में अध्ययनरत् होते। दूसरी और निजी स्कूल के बच्चों की अप्रैल माह की पढ़ाई को यह परीक्षायें प्रभावित कर रही हैं। खुद शासन की आरटीई प्रवेश की प्रक्रिया तक इस परीक्षा के चलते बनाये गये केंद्रों पर अव्यवस्थित हो रही हैं।
सबसे अधिक प्रभाव उन स्कूलों को हो रहा है जो परीक्षा केंद्र बनाये गये हैं, न वहां स्कूलों में आरटीई की प्रक्रिया हो पा रही है,न ही उनके नये सत्र के प्रवेश सुचारू हो पा रहे हैं, उनकी नये सत्र की तैयारी पूर्ण अवरूद्ध हो रही हैं, न ही उनका पूर्ण स्टॉफ स्कूल में आ पा रहा है। उनकी अपनी प्रवेश प्रक्रिया में देरी का उन्हें निश्चित खामियाजा भुगतना होगा। यह जल्दी में प्रारंभ की गयी प्रक्रिया गुणवत्ता के किस स्तर का सुधार कर रही है यह विद्धानों के लिये भी अध्ययन का विषय है फिलहाल की स्थिति में तो सिर्फ बच्चों,उनके अभिभावकों,निजी स्कूल संचालकों व विशेष रूप से परीक्षा केंद्र बनाये गये स्कूल संचालकों का ही बिगाड़ा दिखाई दे रहा है।