इटारसी। इटारसी-होशंगाबाद मार्ग (Itarsi-Hoshangabad Road) पर ओवर ब्रिज (Over Bridge) की समाप्ति के पश्चात पारसियों का 300 साल से भी अधिक पुराना कब्रिस्तान (Graveyard) है। अब इटारसी (Itarsi) में कोई पारसी (Parsi) रहते नहीं हैं। इसकी देखरेख भी नहीं हो रही है, परंतु यहां की कब्र और उनके शिलालेख बताते हैं कि यह कब्रिस्तान काफी पुराना है। अंग्रेजों के समय से पारसी यहां रहते थे, जिनका खास मुकाम 18 बंगला था। परंतु धीरे-धीरे पारसी जाते रहे और अंतिम वजीफदार परिवार था वह भी यहां से चला गया। ज्यादातर इस समाज के लोग सूर्य के उपासक होते थे।
शांति धाम शमशान घाट जन भागीदारी समिति के कार्यकारी सदस्य प्रमोद पगारे (Pramod Pagare) ने कहा कि पारसियों के कब्रिस्तान में 300 साल से अधिक पुरानी कब्र यहां पर बनी हुई हैं, परंतु नगर पालिका (Municipality) जिसका दायित्व है कि वह अंतिम संस्कार जहां होते हैं अथवा बंद हो गए हैं उन कब्रिस्तान, ग्रेव्यार्ड एवं श्मशान घाटों की व्यवस्था देखें। भारत के 74 में संविधान संशोधन में इसका स्पष्ट उल्लेख है। पूर्व में एक पर्शियन महिला मुंबई (Mumbai) से यहां आई थी और यहां की अव्यवस्था पर उन्होंने आक्रोश जताया था।
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) शासन को भी कई बार राजनेताओं ने लिखा। परंतु इस शमशान घाट को धरोहर के रूप में रखने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इटारसी में कभी पर्शियन रहते थे, यह नई पीढ़ी को कैसे पता चलेगा। सामने की बाउंड्री बाल तोड़ दी गई है। कब्रिस्तान के भीतर कुछ अन्य धर्म के परिवारों ने कब्जा कर लिया है। कोई इसको देखने वाला नहीं है, जिला प्रशासन को चाहिए कि इस पर्शियन कब्रिस्तान की सुरक्षा करें। इसकी बाउंड्री बाल नगर पालिका तत्काल बनाए और यहां की कब्रों को सुरक्षित रखा जाए।