इटारसी। प्रशासन यदि ठान ले और युद्ध स्तर पर रेत के अवैध उत्खनन (illegal mining) और परिवहन पर लगाम कसना प्रारंभ कर ले तो किसी की हिम्मत नहीं कि वे अवैध उत्खनन कर ले। लेकिन, प्रशासनिक कार्रवाई देखकर तो लगता है कि महज खानापूर्ति की जा रही है, अवैध उत्खनन को कतिपय अधिकारियों का प्रश्रय मिला हुआ है। यदि नहीं तो फिर क्या कारण है कि रेत खदानों से धड़ल्ले से ट्रैक्टर-ट्रालियां रेत भरकर शहर की गलितयों में पन्नी ढंककर लायी जा ही हैं। शहर में भी उनको प्रवेश शुल्क की एवज में एंट्री दी जा रही है। सुबह-सुबह नगर के प्रवेश द्वारों पर कतिपय वर्दीधारियों को प्रवेश शुल्क लेते देखा जा सकता है। जब शहर सो रहा होता है, तब भीषण ठंड के बावजूद ट्रालियां सड़कों पर रेत लेकर दौड़ रही होती हैं।
रेत के दाम सातवे आसमान पर हैं। जो लोग इनके मुंहमांगे दाम देने को तैयार हैं, उनको रेत मिल रही है, जो लोग इतनी महंगी रेत लेने की काबिलियत नहीं रखते उनके निर्माण कार्य बंद पड़े हैं। पूर्व के वर्षों में प्रशासन की टीम इनकी रोकथाम के लिए धौंखेड़ा मार्ग, मरोड़ा मार्ग पर होती थी। अब अधिकारियों ने भी इस ओर से अपना हाथ खींच लिया है। इसके पीछे भी कई सवाल उठने लगे हैं। रंग-बिरंगी पन्नियों को ढंककर ट्रालियां शहर में रेत लेकर आ रही हैं। पिछले दिनों रेल उत्खनन के लिए अधिकृत कंपनी और रेत माफियाओं के बीच हुए खूनी संघर्ष और कुछ अधिकारियों पर हमले के बावजूद प्रशासन ने अपना सख्त रवैया अख्तियार नहीं किया तो सवाल उठने लगे कि कहीं-कहीं सब मिलीभगत से ही चल रहा है। खुद जिला खनिज अधिकारी पर हमले के बावजूद अवैध उत्खनन और परिवहन नहीं रुकना कई प्रकार के सवाल उठा रहा है।
आरकेटीसी कपंनी पुन: चालू करेगी काम ?
खबर है कि आरकेटीसी कंपनी नये वर्ष में पुन: अपना काम प्रारंभ करेगी। 262 करोड़ में जिले की रेत खदानो का ठेका लेने वाली आरकेटीसी रेत कंपनी अब रेत माफियाओं से दो-दो हाथ करने की तैयारी से मैदान में उतरने वाली है। अभी कंपनी का काम अभी कुछ महीनों से बंद होने के कारण रेतमाफियाओं के हौसले बुलंदी पर हैं। देखना है कि आरकेटीसी कंपनी रेत माफियाओं को काबू में कर पाती है या फिर कतिपय वर्दीधारी और प्रशासनिक अधिकारियों