- संगीतमय श्रीमद देवी भागवत में देवी के चामुंडा कहलाने की कथा सुनाई
इटारसी। संगीतमय श्रीमद देवी भागवत में देवी के चामुंडा कहलाने की कथा सुनाई इटारसी। हमारा राष्ट्र सनातन संस्कृति को मानने वाला है, हम राष्ट्र को सर्वोपरि मानने वाले सनातनी हैं। यह ऋषि-मुनियों का देश है। दुनिया में कुंभ यहीं लगता है, दुनिया में केवल भारत की भूमि ही श्रेष्ठ भूमि है, यही वह भूमि है जहां संविधान में जातिगत भेदभाव नहीं। कुंभ में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शुद्र के आधार पर स्नान नहीं होता बल्कि सभी एकसाथ बिना किसी जातिगत भेदभाव के स्नान कर रहे हैं। हम सनातन को मानने वाले देश हैं, सनातन का मतलब ही बहुत पुराना होता है।
यह बात यहां श्री बूढ़ी माता मंदिर इटारसी में चल रही संगीतमय श्रीमद् देवी भागवत कथा के छठवें दिवस कथा आचार्य पंडित सोमनाथ शर्मा ने कही। उन्होंने इसके अंतर्गत मां भगवती कौशिकी और कालिका की कथा सुनाई गई। इसमें कालिका ने चंडमुंड का संहार किया, इससे उनका नाम चामुंडा पड़ा। देवताओं की सुख के लिए उन्हें स्वर्ग प्रदान किया। देवी भागवत में देवी देवताओं को वचन देती है कि जब कभी देवताओं पर विपत्ति आएगी तो तुम मेरा स्मरण करना, मैं तुम्हें तुम्हारी रक्षा के लिए पुन: वहां पर अवतार ग्रहण करूंगी।
श्री शर्मा ने कहा कि हमारा ही देश है, जहां पौधा यानी तुलसी को मां का दर्जा दिया, यहां जमीन यानी धरती को मां का दर्जा है, जहां पशु यानी गाय को मां का दर्जा दिया है। यह जो सनातन है, वह दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। कथा के छठवें दिवस माता पार्वती, सती चरित्र, भगवान शिव का सुंदर चरित्र भी सुनाया गया, साथ ही दुर्गा जी को 56 भोग लगाया। कथा का आयोजन प्राचीन श्री श्री बूढ़ी माता मंदिर समिति के द्वारा कराया जा रहा है। कथा का समय प्रतिदिन दोपहर 1 से 5 तक है। कथा के समाप्ति के बाद श्रोताओं को प्रसाद वितरण किया गया।