
रवि योग में नव वर्ष का प्रथम पुत्रदा (पवित्रा) एकादशी संतान सुख का महान व्रत
इटारसी। मां चामुंडा दरबार भोपाल (Maa Chamunda Darbar Bhopal) के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे (, Pandit Ramjeevan Dubey) ने बताया कि पौष शुक्ल पक्ष पुत्रदा एकादशी गुरूवार 13 जनवरी को यह व्रत सभी व्रतों में प्रमुख व्रत है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। साल में कुल 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं। जबकि महीने में 2 एकादशी व्रत रखे जाते हैं। नव वर्ष 2022 की पहली एकादशी 13 जनवरी को पड़ेगी। इस एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जानते हैं। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार पड़ती हैं। एक पौष मास में और दूसरी श्रावण मास में। जनवरी महीने में पडऩे वाली एकादशी पौष पुत्रदा एकादशी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुत्रदा एकादशी व्रत संतान प्राप्ति की कामना करने वालों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि 12 जनवरी, बुधवार को शाम 04 बजकर 49 मिनट पर प्रारंभ हगी, जो कि 13 जनवरी (गुरुवार) को शाम 07 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। यह व्रत उदया तिथि में 13 जनवरी को रखा जाएगा। इसलिए व्रत का पारण 14 जनवरी को होगा।
पुत्रदा एकादशी व्रत विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें। अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें। भगवान की आरती करें। भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं। इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
पुत्रदा एकादशी व्रत पारण समय-
एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद और द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व करने का विधान है। पौष एकादशी व्रत के पारण का समय 14 जनवरी, शुक्रवार को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से सुबह 09 बजकर 21 मिनट तक है।