- पंकज पटेरिया

यूं भारत में छह ऋतु का चक्र हैं। इनमें हेमंत ऋतु बसंत के बाद आती है, और सुखद होती है। सूबे की भाजपा सरकार में बसंत का आगमन पहले ही हो चुका था। वसंत का सुखद आभास अपने मोहन भैया यानी डॉक्टर मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनते ही होने लगा था। चतुर्दिक खिल रहे विकास प्रगति के फूल इस वसंत का प्रत्यक्ष दर्शन है। प्रत्यक्षण किम प्रमाणम्, कहा भी जाता है। बस उहापोह प्रदेश अध्यक्ष के बनने से मुंह बाये खड़ी थी।
गहन विचार विमर्श लंबे समय से चल रहा था, लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं होने से कयास के कबूतर फडफ़ड़ा रहे थे। यूं अपने विष्णु दत्त शर्मा तो शुभंकर साबित हुए ही थे। लेकिन उनका कार्यकाल भी पूर्ण हो चुका था। ऐसे में नए अध्यक्ष की नियुक्ति जरूरी होती है। लिहाजा अंतत: हर एंगल से सोच विचार के बाद बैतूल के अपने हेमंत भैया की भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति बहुत समय अनुकूल है तथा संतुलनकारी है। जाहिर है एक समाज विशेष का जबरदस्त समर्थन भी पार्टी के हित में होगा।
फिर हेमंत खंडेलवाल एक ऐसे जन स्वीकार, सरल, सौम्य, सहज जननेता हैं जिनका किसी धड़े से कोई विरोध नहीं है। पिता स्व. विजय खंडेलवाल से उन्हें विरासत में जो संस्कार मिले उनकी सौरभ ही हैं, नए रूप में सब तरफ फैलेगी। बैतूल में उन्हें सब भैया पुकारते हैं। आज मध्य भारत से लेकर महा कौशल तक उनकी सहज स्वीकार्यता सामूहिक करतल ध्वनि उनकी उपस्थिति को महिमामय बनाती।
यह भी सच है कि भविष्य में उनके सामने कई चुनौतियां हैं। लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि अपने कौशल से वे सब का सामना कर समरस सुमन खिला देंगे। फिर अपने शिवराज भैया और मोहन भैया का आशीष भी और प्रमुख सदस्य मंत्री मंडल सदस्य की सद्भावनाएं उनके साथ हैं। हार्दिक मंगल कामनाएं। आशा है मानसून सत्र में हेमंत ऋतु सुखदाई होगी।
जय हिंद जय भारत।
पंकज पटेरिया
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार