आईएच प्रो लीग में भारत द्वारा हॉलैंड को पटकनी देना असाधारण, अविस्मरणीय

Post by: Rohit Nage

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अखिल दुबे, इटारसी। टीम इंडिया (Team India) का यादगार परफॉर्मेंस, माइल स्टोन, पुरुषार्थ दो दिन में दो यूरोपियन (European) टीम्स को पटखनी देना एक महान उपलब्धि है। इसका महत्व तब और बढ़ जाता है, जब दूसरी टीम वर्ल्ड नंबर वन हॉलैंड हो। विश्व हॉकी का सिरमौर, एक दुर्जेय टीम, स्पीड प्ले स्किल्स का पावर हाउस। हॉलैंड (Holland) अपनी विशिष्ठ शैली की ‘फास्ट मूविंग पासेस’ वाली हॉकी खेलती है, जिसे हॉकी की शब्दावली में ‘डच तकनीक’ भी कहा जाता है। इसका अनुसरण अब प्रेक्टिस और मैच में बेल्जियम (Belgium)और इंग्लैंड (England) भी कर रहे हैं।

फर्स्ट क्वार्टर के शुरुआत में ही बेहद आक्रामक तेवर अख्तियार किया, किंतु इंडियन डिफेंडर्स (Indian Defenders) ने भी शांत चित्त, संतुलित दिमाग से अपने बेसिक्स पर अडिग और केंद्रित रहकर कुछ बेहद अच्छे बचाव किए। भारतीय डिफेंस लाइन में अब एक मानसिक मजबूती की निरंतरता, कांसिस्टेंसी दिखाई दे रही है, जो कुछ साल पहले सिरे से नदारत थी। पहले जैसा बिखराव, भगदड़, अफरा-तफरी, अब दिखाई नहीं पड़ती, जो एक टीम इंडिया के लिए शुभ संकेत है। तब अपोनेंट टीम के अटेंकिंग में पूरा रक्षा तंत्र तहस नहस हो जाता था। कुछ अटैकिंग मूव भारत (India) ने अच्छे किए। फर्स्ट क्वार्टर के बाद संभलते हुए। आजकल हार्दिक सिंह (Hardik Singh) पूरे मैदान पर दिखाई पड़ता है, अपने सीनियर और पूर्व कप्तान सरदारा सिंह (Sardara Singh) की तरह। पहला गोल हॉलैंड द्वारा कंसीड करने के बाद, डच टीम थोड़ा और खंखार हुई। सुखजीत (Sukhjeet) ने हार्दिक को बॉल देकर डच अपोनेंट को सरप्राइस किया। 1-0 स्कोर के बाद इंडियन मिडफील्ड कुछ दबाव में दिखा और अतिव्यस्त रहा, जो की काफी रीयर साइट है। अव्वल टीम के विरुद्ध विवेक सागर (Vivek Sagar) का प्रदर्शन चरम पर होता है, जो हॉलैंड के विरुद्ध भी परिलक्षित हुआ।

जैसे सटीक एरियल बॉल, मिड लाइन से थ्रू पासेस, टॉप ऑफ द डी से मारे गए स्लैप शॉट्स। सारे आलातरीन और एकदम उच्च स्तरीय। टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics) के सेमीफाइनल (ब्रांज मेडल मैच) में भी विवेक सागर ने ऐसा ही उच्च स्तरीय प्रदर्शन किया था। इस बीच हॉलैंड ने लगातार दो गोल कर दिए, तब लगा कि अब मैच गया। लेकिन वर्ल्ड नंबर टू, ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह (Harmanpreet Singh) को तो जैसे आदत हो गई है, मुश्किल मौकों पर, डू और डाई मौके पर, बड़ी टीम के विरुद्ध गोल करने की। और ये काम ये महानतम, कालजई खिलाड़ी पिछले कुछ सालों से निरंतर कर रहा है। एक तरफ हरमनप्रीत सिंह और दूसरी तरफ पीआर श्रीजेश (PR Sreejesh) टीम इंडिया के दो मजबूत पिलर, दो प्रकाश स्तंभ। शूट आउट में हमेशा टीम इंडिया के अवसर 90 प्रतिशत बढ़ जाते हैं, हमारे तुरुप के इक्के श्रीजेश के कारण। याद करें फीफा वर्ल्ड कप में फाइनल विजेता टीम के गोलकीपर मार्टिनेज का केलिबर, कॉन्फिडेंस, कंसन्ट्रेशन, बॉडी लैंग्वेज, पूर्वानुमान, आक्रामकता और मजबूत मानसिक मजबूती को।

हुबहू, कट टू कट, पूरी तरह हमारा श्रीजेश भी मार्टिनेज को फॉलो करता है, बिल्कुल मार्टिनेज के समकक्ष है। श्रीजेश से पार पाना किसी भी टीम के लिए कभी भी आसान नहीं रहा। इस वेटरन गोलकीपर श्रीजेश के रिफलेक्स देखिए, एकदम अवाक और चकित करने वाले। हार्दिक आभार श्रीजेश का, हरमनप्रीत का, हार्दिक का और हमारे प्रिय विवेक सागर प्रसाद का, क्रेग फुल्टन का, टीम इंडिया का। ढेर सारी बधाई टीम इंडिया को और ढेर सारी शुभकामनाएं फोर्थ रैंकिंग टीम ऑस्ट्रेलिया से जीत के लिए। क्योंकि हॉलैंड को विजित करने उपरांत टीम इंडिया का मोराल, कॉन्फिडेंस, सातवे आसमान पर होगा।

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