
कब है इंदिरा एकादशी व्रत? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि 2022
इंदिरा एकादशी व्रत : जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पूजन सामग्री, महत्व, कथा, आरती सम्पूर्ण जानकारी 2022
इंदिरा एकादशी व्रत (Indira Ekadashi Vrat)
हिंदू पंचाग के अनुसार प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी व्रत रखा जाता है। अश्विन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है इस दिन व्रत और पूजन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
ऐसी मान्यता है, जो इस दिन व्रत और पूजन करते हैं उन्हें इस जीवन में सुख भोगने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस वर्ष इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर 2022 को रखा जाएगा।
इंदिरा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi Vrat Auspicious Time)
- इस वर्ष इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर 2022 को रखा जाएगा।
- इंदिरा एकादशी प्रारम्भ : सुबह 06:09 से।
- इंदिरा एकादशी समाप्त : रात 11:35 तक।
इंदिरा एकादशी व्रत पूजा विधि (Indira Ekadashi Vrat Puja Method)
- इंदिरा एकादशी का व्रत करने वालो को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर नए वस्त्र धारण करना चाहिए।
- इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने इंदिरा एकादशी व्रत एवं पूजा का संकल्प लेना चाहिए।
- इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करना चाहिए।
- फिर भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करके और पुष्प और तुलसी अर्पित करें।
- इसके बाद गंगाजल, रोली, चंदन, धूप, दीप, फल-फूल आदि से भगवान विष्णु का पूजन करें।
- इसके बाद कथा का पाठ कर भगवान की आरती करनी चाहिए।
- इसके बाद ब्राम्हण को भोजन कराकर दान-दक्षिणा देनी चाहिए।
इंदिरा एकादशी व्रत पूजन सामग्री (Indira Ekadashi Vrat Material)
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामेवा, अक्षत, तुलसी, दल, चंदन, मिष्ठान आदि।
इंदिरा एकादशी व्रत महत्व (Significance of Indira Ekadashi Vrat)
इस व्रत के महत्व के बारे में भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया जाता है। इंदिरा एकादशी का व्रत पूर्ण भक्ति-भाव से करने पर मनुष्य को जन्म और मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार, इस व्रत को करने से लोगों को यमलोक से मुक्ति मिलती है।
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इंदिरा एकादशी व्रत कथा (Indira Ekadashi Vrat story)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में महिष्मति नगर मे राजा इंद्रसेन का राज्य था। इंद्रसेन एक बहुत ही प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा का पालन-पोषण बहुत अच्दे से करता था। उस राजा राज्य में कोई कमी नहीं थी। राजा इंद्रसेन भगवान विष्णु की भक्ति करता था। एक दिन अचानक नारद मुनि का राजा इंद्रसेन की सभा में आते है। और राजा को बताते है कि उनके पिता ने कहा था कि पूर्व जन्म में किसी भूल के कारण वह यमलोक में ही हैं। इसलिए उनकी आत्मा की शांति के लिए उन्हें इंदिरा एकादशी व्रत को करना होगा, ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके।
पिता का संदेश सुनकर राजा इंद्रसेन ने नारद जी से इंदिरा एकादशी व्रत के बारे में बताने को कहते है। तब नारद जी उन्हे बताते हैं कि एकादशी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है। एकादशी तिथि से पूर्व दशमी को विधि-विधान से पितरों का श्राद्ध करने के बाद एकादशी व्रत करें। ऐसा करने से तुम्हारे पिता को मोक्ष की प्राप्ति होगी और उन्हें भगवान विष्णु के चरणों में जगह मिलती हैं।
राजा इंद्रसेन ने नारद जी के बताए अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत किया। जिसके पुण्य से उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई। और राजा इंद्रसेन को भी मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति हुई।
इंदिरा एकादशी व्रत आरती (Indira Ekadashi Vrat Aarti)
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।
तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।
पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।
नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।
चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।
शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।
योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।
कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।
अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।
देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।
परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।
शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।
नोट : इस पोस्ट मे दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। www.narmadanchal.com विश्वसनीयता की पुष्टी नहीं करता हैं। किसी भी जानकारी और मान्यताओं को मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।