भारत उत्थान न्यास की अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी
इटारसी। “विश्वकल्याण और हिन्दू दर्शन”* का विषय प्रर्वतन करते हुए सुजीत कुंतल ने हिन्दू जीवन दर्शन को विश्व कल्याण की आधारशिला बताया।उन्होंने कहा कि भौतिक सुखों से परितृप्त पश्चिम देशों को आज हिन्दू जीवन दर्शन और उसकी जीवन- प्रणाली आकर्षित कर रही है। हिन्दुओं पर हुए निरंतर आघातों के बाद भी आज हिन्दू जीवन दर्शन सुरक्षित है, उसका मूल कारण उसकी समाज रचना ही है, जो आज विश्व को शांति का मार्ग बताने में समर्थ है। युद्ध न हो, विश्व में शांति हो, सब लोग सुखी हों, परस्पर वैमनस्य न हो, यह हमारी संस्कृति की ही कल्पना है। अपनी ऐसी श्रेष्ठ संस्कृति को त्याज्य समझना ठीक नहीं है। हमारे अंदर अभी भी मनुष्यता को व्यवस्थित करने का सामर्थ्य है।
मुख्य अतिथि, प्रो. शीला मिश्रा ने अमेरिका से संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दू दर्शन ही एकमात्र विश्व का दर्शन है जो समस्त वैज्ञानिक प्रश्नों का उत्तर देने की सामर्थ्य रखता है। भोपाल से मुख्य वक्ता, आचार्य डॉ. निलिम्प त्रिपाठी ने बताया कि चेतना सभी में होती है लेकिन चेतन्यता को जागृत करने का कार्य हिन्दू दर्शन करता है। विशिष्ठ अतिथि के रूप में इंडोनेशिया से अजीत सिंह चौहान, थाइलैंड से शिखा रस्तोगी जी, यूनाइटेड किंगडम (UK) से श्री नीलेश जोशी और ग्वालियर से श्रीजी रमण योगी महाराज ने भी अपने विचारों से उपस्थित सभी लोगों को लाभान्वित किया।
यहां वक्ता के रूप में डॉ. ऋतु तिवारी, नागपुर और श्रीमती सरोज जालान ने गुवाहाटी से अपने विचार रखे। संगोष्ठी की शुरुआत यश गोलवलकर द्वारा प्रस्तुत भजन और अलका रानी के स्वागत भाषण से हुई । कल्पना पांडेय ने संचालन व धन्यवाद ज्ञापन रमा चतुर्वेदी ने किया। कार्यक्रम में कृष्ण कुमार जिंदल, अलका सक्सेना, डॉ. शशी अग्रवाल, डॉ.रोचना विश्नोई, चिरंजीवी राव लिंगम, डॉ.अलका सक्सेना, डॉ. दिनकर त्रिपाठी, सोना अग्रवाल आदि ने भागीदारी की।