FIH Pro League का अंतिम मैच कई मायनों में महत्वपूर्ण था ‘टीम इंडिया’ के लिए। विवेक सागर के 100 मैच हुए, जूनियर टीम को छोड़कर। पीसी में विवेक का असाधारण गोल। और 2 रेंकिंग ऊपर आने के लिए जितना अनिवार्य था, भारत ने अपने से ऊपर रेंकिंग की दो टीमों के विरुद्ध चारों मैच जीते। ये एक बेहद असाधारण उपलब्धि है। और नतीजतन भारत 6 से चौथी रेंकिंग में आ गई।
विवेक सागर प्रसाद, उम्र 23 वर्ष, गोल 18, मैच 100। और सबसे बड़ी बात कि जिस टीम इंडिया में 17 में आने के लिए भयानक प्रतिस्पर्धा है, उस टीम से विवेक को कभी बाहर नहीं किया, इससे उसके उच्च स्तरीय खेल और फिटनेस का अंदाजा लगाया जा सकता है, टीम में उसकी भूमिका कितनी ज्यादा महत्वपूर्ण है। टीम इंडिया के गहराई का अंदाजा इससे समझा जा सकता है, कि जब मनदीप, आकाशदीप, पाठक को रेस्ट देकर नवोदित खिलाड़ी को आजमाया, कार्थी, पवन, जुगराज, सुखजीत आदि को, तो भी टीम ने बेजोड़ परफॉर्म किया।
सिलेक्टर्स के लिए आगे बड़ी दुविधा और पशोपेश की स्थिति निर्मित होगी। टीम इंडिया का वर्तमान का सबसे तेजतर्रार खिलाड़ी बेशक सुखजीत है। अंतिम मैच में दूसरे गोल में में सुखजीत का स्टिक वर्क और स्पीड ने सभी को अवाक कर दिया। और विवेक सागर का पहला गोल? एक अपोनेंट को डोज दिया, अपने लिए स्पेस बनाया और रिवर्स फ्लिक से बेमिसाल और यादगार गोल।
यदि क्रिकेट में एक के पीछे पांच खिलाड़ी लाइन में हैं, तो टीम इंडिया में एक के पीछे 10 खिलाड़ी अंदर आने को बेताब हंै। ये एक बेहद अनुकूल और सुखद लक्षण है। विवेक के अलावा मनप्रीत, हरमनप्रीत, श्रीजेश ही होंगे, जिन्होंने 100 से ज्यादा मैच खेले हैं। इस लुका मोडरीच को अभी लंबी दूरी तय करना है, ‘मील का पत्थर’ बनने हेतु। विवेक सागर प्रसाद को, टीम इंडिया को ढेर सारी बधाई और शुभकामनाएं।