- – चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. वीसी दुबे एवं निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. आभा दुबे ने दिया इस्तीफा
- – डॉक्टर्स के आपसी खींचतान के मध्य अस्पताल में मरीजों को हो रही है खासी परेशानी
- – विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा और कलेक्टर सुश्री सोनिया मीणा को करना होगा हस्तक्षेप
इटारसी। डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय चिकित्सालय में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अस्पताल के सूत्र बताते हैं कि ड्यूटी को लेकर डॉक्टर्स की आपसी खींचतान मरीजों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है। स्टाफ भी खुश नहीं हैं, लेकिन भय के कारण कोई भी सामने आने को तैयार नहीं है, बल्कि डॉक्टर्स से अपनी बात ऊपर तक पहुंचाने को कहते हैं। अब विधायक डॉ. सीतासरन शर्मा एवं कलेक्टर सुश्री सोनिया मीणा को यहां हस्तक्षेप करके सुधार कराना चाहिए, नहीं तो मरीजों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दरअसल, शुक्रवार को यहां एक डॉक्टर दंपति के इस्तीफे के बाद से स्पष्ट हो गया है कि भीतर ही भीतर कुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रबंधन और डॉक्टर्स के बीच पटरी नहीं बैठना इस इस्तीफे की वजह माना जा रहा है। हालांकि अस्पताल अधीक्षक डॉ. आरके चौधरी ने कहा कि उन लोगों ने स्वैच्छा से इस्तीफा दिया है, लेकिन जब इस संबंध में इस्तीफा देने वाले चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. विवेकचरण दुबे से बता की तो उन्होंने सीधे जवाब नहीं देकर कहा कि हमने 15 वर्ष और डॉ. श्रीमती आभा दुबे ने 13 वर्ष काफी मेहनत की है, न दिन देखा न रात, लेकिन अब बहुत हो गया, विगत डेढ़ माह से असमंजस की स्थिति थी, जब धैर्य जवाब दिया तो फिर हमने अपने परिजनों से बातचीत करके स्वैच्छा से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने किसी पर भी कोई भी आरोप लगाने से इनकार कर दिया।
ऐसे उठ रहे हैं सवाल
दरअसल, अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आरके चौधरी से दो बार डॉक्टर्स का विवाद हो चुका है। एक डॉ. जैन ने तो उनके साथ मारपीट भी कर दी थी, इसके बाद हाल ही में डॉ. बडानी से भी ड्यूटी को लेकर विवाद हो गया। अस्पताल के सूत्र बताते हैं कि काफी लोग अधीक्षक की कार्यप्रणाली से नाराज चल रहे हैं। डॉ. विवेकचरण दुबे के मामले में भी अंदरूनी सूत्रों से यही जानकारी मिली है कि ड्यूटी को लेकर उनके बीच विवाद रहा है और इसको लेकर दोनों के मध्य पत्राचार भी चला है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या अधीक्षक की कार्यप्रणाली डाक्टर्स के इस्तीफे की वजह बन रही है? यह भी सवाल उठ रहे हैं कि कुछ महिला चिकित्सक ड्यूटी टाइम में प्रायवेट अस्पतालों में सेवाएं देने जाती हैं, उनसे अधीक्षक कुछ नहीं कहते हैं।
दो डॉक्टर हो गये कम
बहरहाल, कारण जो भी रहे हों, डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय चिकित्सालय में दो विशेषज्ञ डॉक्टर्स के जाने से परेशानियां तो आएंगी। डॉ. आभा दुबे निश्चेतना विशेषज्ञ हैं जबकि डॉ. विवेक चरण दुबे चाइल्ड स्पेशलिस्ट हैं। वे विगत 15 वर्ष से शासकीय अस्पताल में सेवाएं दे रहे थे। उनको मिलाकर अधीक्षक और एक और चिकित्सक डॉ. अभिषेक अग्रवाल बच्चों के डॉक्टर हैं। डॉ. दुबे बच्चों की इमरजेंसी यूनिट में सेवाएं दे रहे थे, बल्कि उन्होंने इसे स्थापना से लेकर अब तक काफी हद तक व्यवस्थित भी कर लिया था, उनके इस्तीफे के बाद क्या स्थिति बनती है, आने वाला वक्त बतायेगा।
अब कितने चिकित्सक
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शासकीय अस्पताल में अब बाउंडेड और रेग्युलर मिलाकर कुल 30 डॉक्टर्स हैं। रेग्युलर के क्लास वन के दो, मेडिसिन के 2, एक आर्थोपेडिक्स, एक एनेस्थीसिया विशेषज्ञ आदि के पद रिक्त हैं। बाउंडेड डॉक्टर्स के विषय में तो कहा जाता है कि वे इमरजेंसी ड्यूटी नहीं करना चाहते, एमएलसी और पोस्टमार्टम करने के लिए साफ मना कर देते हैं। ऐसे में सिविल अस्पताल में मरीजों को कैसा इलाज मिलने वाला है, यह आने वाला वक्त ही बतायेगा।
इनका कहना है…
हमारी डॉ. विवेकचरण दुबे से पूर्व में चर्चा हुई थी, उन्होंने परेशानी बतायी थी तो हमने कहा था कि बैठकर बात करके व्यवस्था बना लेंगे, लेकिन उन्होंने इससे पहले ही इस्तीफा दे दिया। जहां तक आपसी खींचतान की बात है तो उसका भी निराकरण करेंगे। जहां अनुशासन बनाने की बात होगी, वहां थोड़ी परेशानी तो आती हैं। मरीजों को बेहतर उपचार मिल रहा है, यह सबसे बड़ी बात है, पहले से व्यवस्थाएं बेहतर हुई हैं।
डॉ. सीतासरन शर्मा, विधायक
उन्होंने स्वैच्छा से इस्तीफा दिया है। क्यों दिया है, वही बता सकते हैं। हम तो स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हों, यही प्रयास कर रहे हैं, कुछ डॉक्टर्स के समय पर नहीं आने की शिकायतें मिल रही हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
डॉ. आरके चौधरी, अधीक्षक
मुझे इस अस्पताल में 15 वर्ष और शासकीय डॉक्टर के तौर पर 18 वर्ष सेवाएं देते हुए हो गये हैं। डॉ. आभा दुबे ने भी 13 वर्ष सेवाएं दी हैं, मैं किसी पर आरोप नहीं लगाता, लेकिन अस्पताल में काफी कुछ ठीक नहीं चल रहा है, इसलिए इस्तीफा देना पड़ा।
डॉ. विवेकचरण दुबे, चाइल्ड स्पेशलिस्ट