उठी सर्पमित्रों को आर्थिक मदद देने की मांग
इटारसी। अपनी जान पर खेलकर खतरनाक सांपों को वश में करके पकडऩे वाले सर्पमित्रों को शासन से मदद की मांग उठने लगी है। सोशल मीडिया पर सर्पमित्रों के हितैषी मानते हैं कि इस जोखिमपूर्ण काम के एवज में उनको आर्थिक मदद मिलनी चाहिए जो अभी तक कहीं से भी नहीं मिलती है। कुछ लोगों का तो यह भी मानना है कि वन विभाग को फारेस्ट गार्ड के वेतन पर इनको अपने यहां नौकरी देनी चाहिए। कुछ लोगों का मानना है कि वन विभाग कम से कम मानदेय तो दे ही सकता है।
दरअसल, आमजन को चिंता होना भी लाजमी है, क्योंकि छिंदवाड़ा में सर्पमित्रों ने इस जोखिम भरे काम से हाथ खींच लिया है। इसके पीछे वजह यह है कि वहां के एक सर्पमित्र हेमंत गोदरे सर्प पकड़ते वक्त जहरीली नागिन का शिकार हो गए थे, जिसमें उपचार का सारा खर्च उनको अपनी जेब से वहन करना पड़ा था। वहीं हाल ही में एक और सर्पमित्र अतुल तुर्के भी कोबरा का शिकार होते बचे। इसके बाद आखिरकार छिंदवाड़ा के सर्पमित्रों ने सांप पकडऩे से इनकार कर दिया है।
सोशल मीडिया पर आये विचार
एक सोशल मीडिया मित्र संजय सोनी का कहना है कि शहर के हर घर से एक निश्चित राशि सर्पमित्रों के लिए एकत्र करके देनी चाहिए जो दस रुपए भी हो सकती है। कम से कम उनके उपचार या लाइफ इंश्योरेंस पालिसी में काम आ सके। इटारसी के सर्पमित्र अभिजीत यादव ने हालांकि कहा है कि यदि शासन-प्रशासन से कोई आर्थिक मदद मिलती हो तो ठीक है, लेकिन हम तो काम फिर भी कर ही रहे हैं। अभिजीत के इस विचार से स्वयं हेमंत गोदरे प्रभावित हैं जो खुद एक सर्पमित्र हैं। उनको उम्मीद है कि एक न एक दिन शासन और प्रशासन की तरफ से सर्पमित्रों के लिए अच्छी खबर होगी। एक अन्य सोशल मीडिया मित्र ने कहा कि मांग उचित है जो पूरी होनी ही चाहिए और इसके लिए जनता को भी सर्पमित्रों के सपोर्ट में आगे आना चाहिए। नीरज चौरे का कहना है कि शासन से सुविधाएं एवं मानदेय मिलना चाहिए। अधिवक्ता संतोष मंटू शर्मा भी सर्पमित्रों को सुविधाएं मिलने के पक्ष में हैं।
रेंजर ने कहा, बना रहे योजना
इस मांग से जब इटारसी वन परिक्षेत्र अधिकारी धीरेन्द्र चौहान को अवगत कराया तो उन्होंने बताया कि अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन वे स्वयं चाहते हैं कि इतने जोखिम भरे काम के लिए सर्पमित्रों को कुछ मिलना चाहिए और वे इसके लिए विभागीय स्तर पर उच्च अधिकारियों से बातचीत करने वाले हैं। उनका कहना है कि विभाग को समय-समय पर इन सर्पमित्रों की मदद की जरूरत होती है, ऐसे में उनको कुछ न कुछ विभाग की तरफ से मिलना चाहिए क्योंकि वे हमारे लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। अभी तो ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, सर्पमित्र स्वयं का पेट्रोल जलाते, अपने जोखिम पर सांप या अन्य जीवों को पकड़ते और जंगल में छोड़कर आते हैं। उन्होंने बताया कि जब से वे यहां पदस्थ हुए हैं, इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे सर्पमित्रों से आवेदन लेकर, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया कराके इस प्रस्ताव को ऊपर तक भेजेंगे ताकि उनके लिए कुछ किया जा सके।
इनका कहना है…!
मेरी जब यहां पदस्थापना हुई, तभी से मैं स्वयं भी इस काम के लिए प्रयासरत हूं। सर्पमित्रों से आवेदन लेकर प्रयास करेंगे कि विभाग की ओर से उनको कुछ मदद मिल जाए। इसके लिए उच्च अधिकारियों से भी चर्चा करूंगा।
धीरेन्द्र सिंह चौहान, रेंजर
यदि हमें ऐसी कोई सुविधा मिल जाए तो रेक्स्यू करने में काफी मदद मिल जाएगी। वन विभाग और एसटीआर का सहयोग तो मिल ही जाता है। आमदनी के लिए भी कुछ हो जाए तो हमें खुशी होगी। हालांकि हम तो अपना काम करते ही रहेंगे।
अभिजीत यादव, सर्पमित्र