जो आरोप लगा रहे, उन्होंने कानून ठीक से नहीं पढ़ा : शर्मा

नर्मदा एजुकेशन सोसायटी ने अपने पर लगे सभी आरोपों को नकारा
इटारसी। नर्मदा एजुकेशन सोसायटी होशंगाबाद ने कांग्रेस द्वारा लगाये गये सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि न तो किसी सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा है, ना ही कोई अवैध कार्य किया है। सारे कार्य वैधानिक तरीके से किये गये हैं और जहां उनके दस्तावेज देने चाहिए, वहां दे भी दिये गये हैं। नर्मदा शिक्षा समिति की ओर से अरुण शर्मा और भवानीशंकर शर्मा ने आज शाम यहां एक पत्रकार वार्ता में कहा कि सच्चाई इटारसी की जनता के समक्ष आनी चाहिए, इसलिए वे यहां वस्तुस्थिति रखने आये हैं।
समिति की ओर से अरुण शर्मा ने बताया कि जिस शीट नंबर 43, प्लाट नंबर 15/1 की बात की जा रही है। नगर पालिका अधिनियम 1960 में बना है, उससे पहले सीपी एंड बरार म्युनिसिपालिटी एक्ट था, यह उसके तहत पूरा प्लाट नंबर पंद्रह इसी के नाम दर्ज था। डिप्टी कमिश्रर उसके प्रोसिडिंग आफिसर हुआ करते थे। उन्होंने ही 15/2 नर्मदा एजुकेशन सोसायटी को दी थी। इस पर एसएनजी स्कूल संचालित किया। 15/3 पर कालांतर में एसएनजी स्टेडियम बना। 15/1 में से नगर पालिका का बजरिया स्कूल संचालित अब भी हो रहा है। इसमें से 19,750 वर्गफुट पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से गल्र्स एजुकेशन सोसायटी से खरीदी है। यह सोसायटी वहां 1932 से संचालित है जो गल्र्स स्कूल चला रही है। उन्होंने 1960 में गल्र्स कालेज शुरु किया। उन्होंने कहा कि राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज होने से किसी को स्वत्वप्रदान नहीं किया जा सकता। 15/2 नर्मदा एजुकेशन सोसायटी के नाम दर्ज है। पिछले 62 वर्षों से यह हमारे पास है, किसी ने विवाद नहीं किया। यह राजनैतिक दुर्भावना से आरोप लगा रहे हैं। जो आरोप लगा रहे हैं, उन्होंने कानून ठीक से पढ़ा ही नहीं है।

कलेक्टर ने दिया था इस्तीफा
अरुण शर्मा ने बताया कि 2010 में कलेक्टर ने सोसायटी की बैठक में कहा कि कलेक्टर के पास बहुत काम होते हैं, उन्होंने मीटिंग में इस्तीफा देने की पेशकश की। उनकी अध्यक्षता में ही यह प्रस्ताव पारित किया। कालेज के पास दुकान बनाने के जवाब में उन्होंने कहा कि इन दुकानों के किराये से ग्रामीण अंचलों में गरीब बच्चों के लिए अत्यंत कम शुल्क में स्कूल संचालित किये जाते हैं। आप सांगाखेड़ाखुर्द, सांवलखेड़ा, डोलरिया जैसे अनेक गांवों में जाकर देख सकते हैं। दुकानों से जो किराया आता है, वह बाकायदा खाते में जमा होता है और ऑडिट होता है। हमने या हमारे परिवार ने कभी कोई भूमि अलाट नहीं करायी। केवल पंजीकृत विक्रय पत्र के माध्यम से ली है। इतने आरोपों के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं करते? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हम कानूनी कार्यवाही भी करते हैं। कुछ मानहानि के प्रकरण भी न्यायालय में लंबित हैं। उनसे कोई नाम बताने को कहा तो उन्होंने बताया कि माणक अग्रवाल के खिलाफ प्रकरण लंबित है, उनको नोटिस जाते हैं, लेकिन सर्व नहीं हो रहे हैं।
पत्रकार वार्ता में जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष और शर्मा परिवार के वरिष्ठ सदस्य भवानीशंकर शर्मा ने कहा कि यदि हम गड़बड़ी कर रहे हैं तो जनता इतने वर्षों से लगातार क्यों जिता रही है। पूर्व मंत्री विजय दुबे काकूभाई द्वारा मैंनेजमेंट से चुनाव जीतने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि चुनाव मैनेजमेंट से नहीं जनता के दिलों में जगह बनाने से जीते जाते हैं। यदि मैनेजमेंट से ही जीते जाते तो उन्होंने मैनेजमेंट क्यों नहीं किया। उन्होंने कहा कि आप गालियां दो, हम आगे बढ़ रहे हैं, इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। उन्होंने कहा कि हम कब्जा नहीं करते, हम तो लुटेरे हैं और अब तक लोगों का दिल ही जीतते आये हैं। उन्होंने काकूभाई को चुनौती दी कि वे एक भी ऐसी भूमि बता दें जहां शर्मा परिवार ने कब्जा किया है, तो बताएं। इस तरह के आरोप ओछी राजनीति है। आप विधायक पर आरोप लगायें वहां तक ठीक है, आप परिवार पर ही आ गये। हमने इतने चुनावों में कभी आपके परिवार पर कोई आरोप नहीं लगाये। उन्होंने कहा कि एक भी दस्तावेज बता दो जो अवैध हो, हम तत्काल उस कब्जे को छोड़ देंगे।

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