श्रद्धा से मनी भैरव जयंती, हवन, पूजन भंडारे हुए

इटारसी। आज नगर में भैरव जयंती श्रद्धा से मनायी गयी। अगहन कृष्ण अष्टमी को भैरव जयंती पर शहर में भैरव मंदिरों में हवन-पूजन, भंडारे आदि के आयोजन होते हैं। भैरव जयंती के मौक पर नेशनल हाईवे 69 स्थित धौंखेड़ा तिराहे पर बने भैरव मंदिर में सुबह पूजन-अभिषेक, हवन के बाद हजारों भक्तों ने भंडारे में पहुंचकर प्रसाद ग्रहण किया। भैरव जयंती का कार्यक्रम पूड़ी लाइन स्थित मंदिर में भी आयोजित हुआ जहां हवन-पूजन हुए और यहां के व्यापारियों ने इसमें शिरकत की।
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नेशनल हाईवे स्थित भैरव मंदिर में आज सुबह से ही भगवान का दुग्धाभिषेक, हवन, पूजन और भंडारे का आयोजन किया। भगवान के हवन में शहर के अनेक गणमान्य नागरिकों ने पहुंचकर आहुति डाली। शहर के हजारों भक्त भैरव अष्टमी पर इस मंदिर में पहुंचकर भगवान को चढ़ावा चढ़ाते हैं और दान-पुण्य करते हैं। अनेक लोगों ने आज हवन में भी अपनी आहुति डाली। हर वर्ष इस मंदिर में हजारों भक्त दोपहर से देर शाम तक पहुंचकर पूजा-अर्चना करते और यहां होने वाले भंडारे में प्रसाद ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि काल भैरव अष्टमी के दिन जो भक्त भगवान काल भैरव की पूजा-अर्चना और उपवास करते हैं, भगवान काल भैरव उसके सभी प्रकार के रोग-दोष दूर करते हैं। काल भैरव अष्टमी साधना के लिए कठिन मानी जाती है। हिंदु मान्यताओं के मुताबिक मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस तिथि को काल भैरव अष्टमी नाम से जाना जाता है। शिव जी के दो रूप हैं एक बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। बटुक भैरव भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरूप में प्रसिद्ध है, वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचंड दंडनायक हैं। धार्मिक विद्वान बताते हैं कि इस दिन भगवान काल भैरव को पीले रंग की पताका अर्पित करनी चाहिए। काल भैरव अष्टमी के दिन पापड़, पूड़ी पुए और पकौड़े जैसी चीजों से भगवान काल भैरव का भोग लगाकर इन्हें गरीबों में बांटना चाहिए।

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