नाबालिग के साथ दुराचार करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कारावास

नाबालिग के साथ दुराचार करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का कारावास

इटारसी। द्वितीय अपरसत्र न्यायालय इटारसी की पीठासीन अधिकारी सविता जडिय़ा ने नाबालिग (Minor) को बहला फुसला कर ले जाने और उसके साथ बलात्कार (Rape) करने के आरोपी थान सिंग को कारावास की सजा से दंडित किया गया।
अभियोजन अधिकारी एचएस यादव (Prosecuting Officer HS Yadav) ने बताया कि 8 मार्च 2015 को नाबालिग पीडि़ता की मां ने थाना इटारसी पर उसकी नाबालिग लड़की के गुम हाने की सूचना दी गई। पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के विरूद्ध नाबालिग लड़की को बहला फुसला कर ले जाने पर प्रकरण पंजीबद्ध किया। लगभग 4 वर्ष बाद नाबालिग लड़की को पुलिस ने तलाश लिया। नाबालिग ने पुलिस को बताया कि थान सिंग पिता रूप सिंग गिनावा निवासी ग्राम अमझिरा से उसकी पहचान हो गई थी और थान सिंग के कहने पर उसके साथ इंदौर चली गई। जहां पर थान सिंग ने शादी का प्रलोभन देकर उसके साथ मर्जी के बिना बार-बार शारीरिक संबंध बनाये। पीडि़ता ने पुलिस को बताया कि थान सिंग उसे जबरदस्ती इंदौर से धार ले गया। वहां पर उसने एक मंदिर में शादी की और उसके बाद से आरोपी के साथ रही।

पीडि़ता एक लगभग ढाई वर्ष की बच्ची को लेकर आई थी। जिसे उसने अपनी पुत्री बताया। पुलिस ने आरोपी थान सिंग को गिरफ्तार किया। नाबालिग पीडि़ता की जन्मतिथि के आधार पर घटना दिनांक को नाबालिग पाई गई। नाबालिग ने न्यायालय में घटना का समर्थन नहीं किया किंतु छोटी बच्ची को आरोपी थान सिंग और उसकी पुत्री होना बताया। पुलिस ने आरोपी थान सिंग, नाबालिग पीडि़ता एवं बच्ची का डीएनए परीक्षण कराया। उनकी डीएनए परीक्षण रिपोर्ट पॉजीटिव पाई गई। जिससे यह साबित हुआ कि बच्ची के जैविक माता पिता नाबालिग पीडि़ता और आरोपी थान सिंग है।
शासन की ओर से पैरवी करने वाले अभियोजन अधिकारी एचएस यादव ने बताया कि अभियोजन द्वारा घटना के समय अभियोक्त्रि को नाबालिग प्रमाणित किया और साबित किया कि घटना दिनांक को पीडि़ता के नाबालिग रहते हुए आरोपी द्वारा पीडि़ता के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करने के कारण पीडि़ता ने बच्ची को नाबालिग रहते हुए जन्म दिया। इस दशा में पीडि़ता की सहमति का महत्व नहीं रह जाता है। इसलिए न्यायालय ने नाबालिग को बहला फुसला कर ले जाने पर धारा 363 भादवि के अंर्तगत 3 वर्ष का कारावास, धारा 366 के अंर्तगत 5 वर्ष का कारावास एवं धारा 376(2एन) के अंर्तगत आरोपी को 10 वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया। न्यायालय ने कुल 1500 रुपए का जुर्माना लगाया जो नाबालिग को प्रदान किये जाने को आदेश दिया।

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