जीवन में संशय नहीं संयम होना चाहिए: आचार्य मधुसूदन

जीवन में संशय नहीं संयम होना चाहिए: आचार्य मधुसूदन

हनुमान मंदिर पर आयोजित श्रीराम कथा का हुआ समापन

इटारसी। प्रत्येक जन को जीवन में कोई भी कार्य करते समय मन में संशय नहीं संयम रखना चाहिए, तभी वह कार्य निर्विघ्नता के साथ संपन्न होता है। उक्त उद्गार आचार्य मधुसूदन महाराज (Acharya Madhusudan Maharaj) ने नाला मोहल्ला के प्राचीन हनुमान मंदिर दादा दरबार प्रांगण में आयोजित श्री राम कथा समारोह के विश्राम दिवस में उपस्थित श्रोताओं के अपार जनसमूह के समक्ष व्यक्त किये। उन्होंने श्रीराम चरितमानस के सुंदरकांड का वर्णन करते हुए कहा कि मानव जीवन में आए हैं तो परिवार और समाज के कामकाज के साथ ही रामकाज भी करना होगा, तभी इस जीवन की सार्थकता पूर्ण हो सकती है। जीवन में यह कामकाज और राम काज तभी सफल होते हैं, जब किसी भी कार्य का निर्णय करते समय मन में कोई संशय ना हो। यही संदेश वीर हनुमान के सुंदरकांड प्रसंग में गोस्वामी तुलसीदास जी ने प्रतिपादित किया है। कथा के विश्राम दिवस में कार्यक्रम संयोजक एवं मुख्य यजमान राजू चौरे एवं सुनील पटेल ने समस्त श्रोताओं की ओर से आचार्य श्री मधुसूदन एवं संगीत मंडली के सदस्यों का सम्मान किया। तो वहीं इस बार धार्मिक अनुष्ठान के सूत्रधार दोनों यह जवानों का समस्त क्षेत्रवासियों की ओर से ग्राम पंचायत मेहरा गांव की उपसरपंच श्रीमती सुनीता पूरन मेशकर ने सम्मान किया। सम्मान समारोह का संचालन आयोजन प्रवक्ता गिरीश पटेल ने एवं आभार प्रदर्शन पूर्व पार्षद दुर्गादास बकोरिया ने किया। तत्पश्चात कन्या भोज एवं भंडारे के साथ श्री राम कथा समारोह का समापन हुआ।

 

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