केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का प्रलय भी कुछ नहीं बिगाड़ पाया

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का प्रलय भी कुछ नहीं बिगाड़ पाया

इटारसी। भगवान शिव की भक्ति में ही शिव की शक्ति छिपी हुई है। शिव दाता भी है और तांडवकर्ता भी। शिव के बिना सृष्टि कैसी और सृष्टि के बिना शिव कैसे। सावन मास में ज्योर्तिलिंग का पूजन और अभिषेक अपनी अलग मान्यता रखता है। उक्त उदगार द्वादश ज्योर्तिलिंग के मुख्य आचार्य पं. विनोद दुबे ने केदारनाथ ज्योर्तिलिंग के अभिषेक (Abhishek) के समय व्यक्त किए। बारह ज्योर्तिलिंग के पूजन और अभिषेक के अंतर्गत केदारनाथ ज्योर्तिलिंग का पूजन अभिषेक संपन्न हुआ।
दुबे ने कहा कि कौरव-पांडवो के युद्ध में अपने लोगों की हत्या के पापलाक्षन करने पांडव तीर्थ स्थान काशी पहुंचे। परंतु भगवान विश्वेश्वर जी उस समय हिमालय के कैलाश पर गए हुए थे। पांडव काशी से निकलकर हरिद्वार होकर हिमालय की गोद में पहुंचे। दूर से ही उन्हें भगवान शंकरजी के दर्शन हुए। परंतु पांडवांे को देखकर भगवान शिव शंकर वहां से लुप्त हुए हैं। प्रभु हम आपको ढंूढ निकालेंगे। आपके दर्शनों से हम पाप विमुक्त होंगे। हमंे देख जहां आप लुप्त हुए हैं वह स्थान अब ‘गुप्त काशी’ के रूप में पवित्र तीर्थ बनेगा। पांडव गुप्त काशी (रूद प्रयाग) से आगे निकलकर हिमालय के कैलाश, गौरी कुंड के प्रदेश में घूमते रहे और भगवान शिव शंकर को ढूंढते रहे। इतने में नकुल-सहदेव को एक भैंसा दिखाई दिया उसका अनोखा रूप देखकर धर्मराज ने कहा कि शंकर ने ही यह भैंसे का रूप धारण किया हुआ है, वे हमारी परीक्षा ले रहे हैं।
पं. विनोद दुबे ने कहा कि गदाधारी भीम उस भैंसे के पीछे लग गए। भैंस उछल पड़ा, भीम के हाथ नहीं लगा। अंततः भीम थक गए। फिर भी भीम ने गदा प्रहार से भैंसे को घायल कर दिया। घायल भैंसा धरती में मुंह दबाकर बैठ गया। भीम ने उसकी पूंछ पकड़कर खींचा। भैंसे का मुंह इस खीचातानी में सीधे नेपाल में जा पहुंचा। भैंस का पार्श्व भाग केदारनाथ में ही रहा। नेपाल में यह पशुपति नाथ के नाम से जाना जाने लगा।
पं. विनोद दुबे ने कहा कि महेश के उस पार्श्व भाग से एक दिव्य ज्योति प्रकट हुई। दव्य ज्योति में से शंकर भगवान प्रकट हुए। पांडवो को उन्होंने दर्शन दिए। शंकर भगवान के दर्शन से पांडवो का पापहरण हुआ। शंकर भगवान ने पांडवो से कहा, – ‘‘मैं अब यहां इसी त्रिकोणाकार में ज्योर्तिलिंग के रूप में सदैव रहूंगा। केदारनाथ के दर्शन से मेरे भक्तगण पावन होंगे।
पं. दुबे ने कहा कि कुछ वर्षाे पूर्व केदारनाथ क्षेत्र में आपदा आई लेकिन केदारनाथ शिवलिंग का कुछ भी नहीं बिगड़ा यह शिव का ही चमत्कार है। श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का पूजन एवं रुद्राभिषेक शहर के जाने-माने समाजसेवी सुरेंद्र राजपूत एवं श्रीमती मीना राजपूत सहित जितेंद्र एवं सरिता गौर ने किया शुक्रवार 20 अगस्त को श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के पूजन एवं रुद्राभिषेक के साथ 1 माह से चल रहे कार्यक्रम का समापन दोपहर 2 बजे होगा। आयोजन को सफल बनाने के लिए सुनील दुबे शिक्षक अमित मौर्य नैतिक अग्रवाल गोपाल नामदेव का निरंतर सहयोग मिल रहा है।

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