मौसम परिवर्तन पर है व्रत की परंपरा, ये व्रत करने से चेचक रोग से मिलती है मुक्ति
Sheetala Ashtami Vrat 2021 Pooja Vidhi

मौसम परिवर्तन पर है व्रत की परंपरा, ये व्रत करने से चेचक रोग से मिलती है मुक्ति

इटारसी। आषाढ़ महीने के कृष्णपक्ष की अष्टमी (आठवीं) तिथि को शीतलाष्टमी व्रत (Sheetala Ashtami Vrat) किया जाता है। ये व्रत 2 जुलाई को किया जाएगा। माना जाता है कि इस व्रत से मन को शीतलता मिलती है। इस दिन सुबह नहाकर शीतला देवी (Sheetala Devi) की पूजा की जाती है। इसके बाद एक दिन पहले तैयार किए गए बासी खाने का भोग लगाया जाता है। इस दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। इस व्रत को रखने से देवी खुश होती हैं। ये ग्रीष्म ऋतु खत्म होने का समय होता है। इस दिन व्रत और पूजा करके देवी शीतला से रोग-विकार से मुक्ति की कामना की जाती है।

मौसम परिवर्तन पर व्रत की परंपरा
पुराणों में कहा गया है कि देवी शीतला की पूजा करने से बीमारियों से बचाव होता है। बदलते मौसम में बीमारियां ज्यादा होती है। इसलिए मौसम परिवर्तन के समय शीतला माता की पूजा और व्रत करने की परंपरा ग्रंथों में बताई गई है। क्योंकि इस व्रत में ठंडा खाना खाया जाता है। आयुर्वेद के जानकारों का भी मानना है कि ऐसा करने से बीमारियों के संक्रमण से बचा जा सकता है।

ये सावधानियां रखें
इस दिन गर्म चीजें नहीं खाई जाती हैं। शीतलाष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। एक दिन पहले ही रात में ही सारा भोजन हलवा, गुलगुले, रेवड़ी आदि तैयार करके रख लेना चाहिए। इस दिन गर्म पानी से नहाने की भी मनाही है, इसलिए शीतलाष्टमी पर शीतल जल से ही नहाने की परंपरा है।

व्रत का महत्व
संतान पाने की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए ये व्रत बहुत शुभ माना गया है। पौराणिक मान्यता के मुताबिक शीतलाष्टमी व्रत करने पर दैहिक और दैविक ताप से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के बारे में मान्यता है कि ये संतान और सौभाग्य देने वाला है। शीतलाष्टमी का व्रत करने से चेचक रोग से भी बचाव होता है।

व्रत विधि
शीतलाष्टमी व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और नहाकर व्रत का संकल्प लें। उसके बाद लकड़ी के पटिये या चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं और उस पर शीतला माता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। पूजा के लिए खुद का आसन भी बिछाएं और शीतला माता का पूजन करें। शीतला माता का पूजन करते समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। आप चाहें तो किसी पुरोहित की सहायता लेकर भी पूजन कर सकते हैं।

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