नई शिक्षा नीति पर मोदी का ऐलान, गांवों में प्ले स्कूल की सुविधा

नई शिक्षा नीति पर मोदी का ऐलान, गांवों में प्ले स्कूल की सुविधा

इंजीनियरिंग की पढ़ाई 11 भाषाओं में की जा सकेगी

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मंजूरी मिले गुरुवार को एक साल पूरा हो गया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने एजुकेशन सेक्टर से जुड़े लोगों, टीचर्स और स्टूडेंट्स से सीधी बात की। इस दौरान उन्होंने दो बड़े ऐलान किए। पहला कि गांवों में भी बच्चों को प्ले स्कूल की सुविधा मिलेगी। अब तक यह कॉन्सेप्ट शहरों तक सीमित है। दूसरा कि इंजीनियरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए टूल डेवलप किया जा चुका है। इससे इन भाषाओं के छात्रों को पढ़ाई में आसानी होगी।

नई शिक्षा नीति के एक साल पूरे
29 जुलाई 2020 को इसे मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली थी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से हो रहे इस कार्यक्रम में बच्चों के लिए विद्या प्रवेश प्रोजेक्ट की शुरुआत की। यह एक प्ले-आधारित स्कूल शिक्षा मॉड्यूल है। यह ग्रेड-1 के छात्रों के लिए 3 महीने का कोर्स है। साथ ही निष्ठा 2.0 कार्यक्रम शुरू किया। ये NCERT का डिजाइन किया गया प्रोग्राम है, जिसे टीचर्स की ट्रेनिंग के लिए बनाया गया है।

मोदी के स्पीच की खास बातें…

गांवों तक पहुंचेंगे प्ले स्कूल
विद्या प्रवेश प्रोग्राम आज लॉन्च किया गया है। अब तक प्ले स्कूल का कॉन्सेप्ट बड़े शहरों तक सीमित है। विद्या प्रवेश के जरिए वह गांव-गांव जाएगा। ये प्रोग्राम आने वाले समय में यूनिवर्सल प्रोग्राम के तौर पर लागू होगा और राज्य भी इसे जरूरत के हिसाब से लागू करेंगे। देश के किसी भी हिस्से में अमीर हो या गरीब, उसकी पढ़ाई खेलते और हंसते हुए और आसानी से होगी। शुरुआत मुस्कान के साथ होगी तो आगे कामयाबी का रास्ता भी आसानी से पूरा होगा।

इंजीनियरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल डेवलप किया जा चुका है। साथ ही मुझे खुशी है कि 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज 5 भारतीय भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी और बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं।

पढ़ाई का ढंग बदला
हमारे साथ मौजूद युवाओं के सपनों और उम्मीदों के बारे में पूछेंगे तो उनके मन में नयापन और नई ऊर्जा दिखाई देगी। युवा बदलाव के लिए पूरी तरह तैयार है, वो इंतजार नहीं करना चाहता है। कोरोना काल में कैसे हमारी शिक्षा व्यवस्था के सामने इतनी बड़ी चुनौती आई। पढ़ाई का ढंग बदल गया, लेकिन विद्यार्थियों ने तेजी से इस बदलाव को एडॉप्ट कर लिया है।

ऑनलाइन एजुकेशन अब एक सहज चलन बन गया है। शिक्षा मंत्रालय ने भी इसके लिए प्रयास किए हैं। मंत्रालय ने दीक्षा प्लेटफॉर्म, स्वयं पोर्टल शुरू किया। छात्र पूरे देश से इनका हिस्सा बन गए। पिछले एक साल में 2300 करोड़ से ज्यादा हिट होना ये बताता है कि ये कितना उपयोगी प्रयास रहा है। आज भी हर दिन इसमें 5 करोड़ हिट हो रहे हैं।

युवाओं को एक कदम आगे का सोचना होगा
ये माना जाता था कि अच्छी पढ़ाई के लिए विदेश जाना होगा। लेकिन, विदेशों से स्टूडेंट भारत आएं, ये हम देखने जा रहे हैं। देश की डेढ़ सौ से ज्यादा विश्वविद्यालयों में ऐसी व्यवस्था की जा चुकी है। हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च में आगे बढ़ें, इसके लिए गाइडलाइन जारी की गई हैं। आज बन रही संभावनाओं को साकार करने के लिए हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे बढ़ना होगा, एक कदम आगे का सोचना ही होगा।

आत्म निर्भर भारत का रास्ता स्किल डेवलपमेंट और टेक्नोलॉजी से जाता है। एक साल में 1200 से ज्यादा उच्च शिक्षा संस्थानों में स्किल डेवलपमेंट से जुड़े सैकड़ों कोर्सेज को मंजूरी दी गई। बापू कहा करते थे कि राष्ट्रीय शिक्षा को सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय होने के लिए राष्ट्रीय परिस्थितियों में रिफ्लेक्ट होना चाहिए। अब हायर एजुकेशन में मीडियम ऑफ इंस्ट्रक्शन स्थानीय भाषा भी विकल्प होगी।

भारतीय साइन लैंग्वेज को सब्जेक्ट का दर्जा दिया गया
3 लाख से ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें सांकेतिक भाषाओं की जरूरत होती है। इसे समझते हुए भारतीय साइन लैंग्वेज को सब्जेक्ट का दर्जा दिया गया है। छात्र इसे भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। हमारे दिव्यांग साथियों को मदद मिलेगी। आप भी जानते हैं कि किसी भी स्टूडेंट की पूरी पढ़ाई में प्रेरणा अध्यापक से होती है। जो गुरु से प्राप्त नहीं हो सकता है, वो कहीं प्राप्त नहीं हो सकता है। ये हमारे यहां कहा जाता है। ऐसा कुछ भी नहीं है, जो अच्छा गुरु मिलने के बाद दुर्लभ होगा।

 

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!