शहर को देने तवा नदी (Tawa Nadi) में नहीं है पानी

शहर को देने तवा नदी (Tawa Nadi) में नहीं है पानी

पीएचई (PHE) ने सुझाये पानी लाने के तरीके

– तवा नदी का ढाल पता करने सिंचाई विभाग से होगा संपर्क

– परियोजना के ट्रीटमेंट प्लांट (treatment plants) के पास कुआ खोदा जा सकता

इटारसी। करोड़ों की जल आवर्धन योजना (jal aavardhan yojana) सफेद हाथी साबित हो रही है। करीब डेढ़़ दशक की कवायद और करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद तवा नदी का जल इटारसी शहर के लोगों को पीने के लिए मिलना सपना ही रह गया है। लोकार्पण के बावजूद नगर पालिका (Nagarpalika) के अधिकारी शहर की टंकियों तक पानी तो ले आए, लेकिन इतना नहीं कि शहर के लोगों की मांग के अनुसार पूर्ति कर सके।
पिछले दिनों समीक्षा बैठक में विधायक डॉ.सीतासरन शर्मा (MLA Dr. Sitasaran Sharma) ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के इंजीनियर को नगर पालिका अधिकारियों के साथ जाकर स्थिति देखकर संभावना पर काम करने निर्देशित किया था। आज बुधवार को नगर पालिका की सहायक यंत्री मीनाक्षी चौधरी, सब इंजीनियर आदित्य पांडेय, भाजपा नेता जगदीश मालवीय, पूर्व पार्षद राकेश जाधव ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के इंजीनियर के साथ मेहराघाट जाकर परियोजना की स्थिति देखी। वहां इंटेकवेल के पास बिलकुल पानी नहीं है, ऐेसे में वहां से शहर को पानी की सप्लाई संभव ही नहीं है।

ये दिया सुझाव
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (Public Health Engineering Department) के इंजीनियर ने नगर पालिका को सुझाव दिया है कि सिंचाई विभाग से तवा पुल और इंटेकवेल के पास का वेड लेबल पता किया जाए। क्योंकि पुल के पास पानी है, यदि वहां का लेबल ऊंची है तो पाइप लाइन के जरिए इंटेकवेल तक पानी लाया जा सकता है। यदि वहां से पानी लाना संभव नहीं होता है तो एकमात्र रास्ता है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के पास एक कुआ खोदा जाए और उससे पानी लेकर शहर को पेयजल के लिए सप्लाई किया जाए।

जल आवर्धन योजना एक नजर
स्वीकृत -2007-2008
प्रस्तावित राशि – 14 करोड़ रुपए
काम शुरु -2012 में
योजना की राशि हुई – 24 करोड़ 36 नाख
टंकी – पांच में से चार बनी
पाइप लाइन – 14 किलोमीटर
क्लियर वाटर पाइप लाइन -11 किमी
स्रोत से पंप तक – 3 किमी

इनका कहना है….
पीएचई के इंजीनियर के साथ आज मेहराघाट जलसंयंत्र का निरीक्षण किया है। उन्होंने दो सुझाव दिये हैं। सिंचाई विभाग को पत्र लिखकर सुझावों पर आगे कार्रवाई की जाएगी।
आदित्य पांडेय, सब इंजीनियर

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