सर्वार्थसिद्धि योग में कल साल का अंतिम प्रदोष व्रत
सर्वार्थसिद्धि योग

सर्वार्थसिद्धि योग में कल साल का अंतिम प्रदोष व्रत

इटारसी। मां चामुंडा दरबार भोपाल के पुजारी गुरु पंडित रामजीवन दुबे ने बताया की पौष माह के कृष्ण पक्ष में इस वर्ष का अंतिम प्रदोष व्रत शुक्रवार 31 दिसंबर को है। इस दिन पौष मास (Paush month) की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। प्रदोष व्रत को त्रयोदशी व्रत भी कहा जाता है। इस दिन शुक्रवार होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने से भगवान शिव के साथ शुक्र दोष से भी मुक्ति मिलती है। साल में कुल 24 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं।

प्रदोष व्रत का महत्व
भगवान शिव को प्रदोष व्रत अत्यंत प्रिय है। मान्यता है कि भगवान शिव की कृपा पाने के लिए हर माह में पडऩे वाले प्रदोष व्रत सबसे उत्तम माना गया है। हर माह दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि- विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। इतना ही नहीं, सप्ताह के जिस दिन व्रत होता है उसे उसी नाम से बुलाया जाता है। इस व्रत को विधि पूर्वक करने से दांपत्य जीवन में मधुरता आती है। संतान को लाभ मिलता है और बेहतर स्वास्थ्य तथा लंबी आयु प्राप्त होती है।

प्रदोष व्रत पूजन विधि
प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर के मंदिर में ही दीप प्रज्वलित करें। अगर आप व्रत रखना चाहते हैं तो व्रत करें। भोलेनाथ का गंगाजल से अभिषेक कर, पुष्प अर्पित करें। इस दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती और गणेश जी की पूजा भी करें। भगवान शिव को भोग लगाएं। प्रदोष व्रत के दिन इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को शिव को सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं। शिव जी की आरती अवश्य करें।

व्रत और पूजन का शुभ- मुहूर्त
पौष, कृष्ण त्रयोदशी तिथि आरंभ- 31 दिसंबर 2021, शुक्रवार प्रात: 10 बजकर 39 मिनट
पौष, कृष्ण त्रयोदशी तिथि समापन- 1 जनवरी 2022, शनिवार को प्रात: 07 बजकर 17 मिनट
पूजन समय- प्रदोष काल – 31 दिसंबर, शुक्रवार सर्वार्थसिद्धियोग में शाम 05:35 से 08:19 बजे तक पूजा अभिषेक करें।

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!