जन कल्याण के लिए जल रूप धारण किया मां नर्मदा ने

Post by: Poonam Soni

इटारसी। पतित पावनी मां नर्मदा का प्राकट्य देवी स्वरूप में हुआ था। लेकिन जन कल्याण के लिए भगवान शिव के आह्वान पर उन्होंने जल रूप धारण किया। उक्त उद्गार पुराण मनीषी आचार्य मधुसूदन महाराज ने संस्कार मंडपम सोनासांवरी में आयोजित श्री नर्मदा पुराण कथा महोत्सव में व्यक्त किए।
लोक शांति एवं जन कल्याण के लिए दीनदयाल पटेल परिवार द्वारा आयोजित नर्मदा पुराण कथा महोत्सव के दूसरे दिन श्रोताओं को आचार्य मधुसूदन ने पतित पावनी मां नर्मदा का प्राकट्य प्रसंग सुनाते हुए कहा कि संसार में जब प्रदूषण फैलने लगा तब देवताओं ने भगवान महादेव से उसे दूर करने गुहार लगाई। महादेव के आह्वान पर देवी नर्मदा प्रकट हुई तो महादेव ने संसार को प्रदूषण मुक्त करने एवं जन कल्याण के लिए उन्हें नीर रूप धारण करने को कहा। तब मां नर्मदा ने भगवान शंकर से सात वर मांगे जिनमें मुख्य रूप से मेरे जल में स्नान करते ही मानव पतित पावन हो जाए, स्नान ही नहीं मेरे दर्शन मात्र से मानव का कल्याण हो जाए और जिस पर्वत और पत्थर पर मेरे जल का स्पर्श हो वह नर्मदेश्वर हो जाए। यह सारे वर शिवजी से प्राप्त करते ही देवी नर्मदा जन कल्याण के लिए जल रूप धारण कर पतित पावनी मां नर्मदा के रूप में पृथ्वी पर आई और पावन पुण्य जलधारा के रूप में प्रवाहित हुई। कथा के प्रारंभ में मुख्य यजमान दीनदयाल पटेल, बलराम पटेल एवं कार्यक्रम संयोजक अनिरुद्ध पटेल ने पुराण एवं प्रतिमा पूजन कर समस्त श्रोताओं की ओर से आचार्य श्री का स्वागत किया।

 

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