कितने ही जज़्बात होते हैं दिल में पर हम सबको बयां नहीं कर पाते 

कितने ही जज़्बात होते हैं दिल में पर हम सबको बयां नहीं कर पाते 

जज़्बात: कितने ही जज़्बात होते हैं दिल में पर हम सबको बयां नहीं कर पाते। कभी डर लगता है कहने में तो कभी रूबरू आने पर लफ्ज़ खो जाते हैं। कभी हम सोचते हैं कि जिसके लिए चाहत है दिल में वो हमारा अनकहा भी समझ लेगा। 

ये जज़्बात भी अजीब होते हैं। कभी प्रेम जगाकर किसी को दिल के अर्श पर बिठा देते हैं तो कभी दर्मियाँ मीलों के फासले तय कर लेते हैं।

कभी फितूर भरा होता है इन जज़्बातों में जो आबशार से गिरते हैं दिल के धरातल पर और हलचल मचा देते हैं गहराई तक।

यही जज़्बात कभी-कभी शांत, अविरल धारा की तरह बहते हैं दिल की जमीं पर जो जिंदगी देते हैं रिश्तों को।

जज़्बात अगर बहक जाएं तो जीवन कांच सा बिखर जाता है जो ताउम्र दंश देता है और यही जज़्बात जब माला की तरह सिमटे रहते हैं तो जिंदगी संवार देते हैं।

जज़्बात से ही
गम की शब है
और
जज़्बात से ही
खुशियों की सहर है

बयां कीजिए
जज़्बात
न रहे
अनकहा दरमियां

आब – ए – हयात से हों
जज़्बात
न करे
जमाना सरगोशियां।

— सरगोशियां _ कानाफूसी
— आबशार _ झरना

 

अदिति टंडन
आगरा 

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