राजधानी से पंकज पटेरिया :
क्या खूब कहा है किसी बेहतरीन शायर ने…
आंखों में अश्क आए तो हंसने का लुत्फ क्या ? इतना न गुदगुदाओ कि हम रो दिया करें। राजनीति के आकाश में सजी महफिल में कुछ ऐसा ही शेर इन दिनों छाया हुआ है।
साहब बहादुर के बोल…उन्हें गए तोल
आईएएस इस जमाने का विशिष्ठ सम्मानित गरिमामय मणि मुकुटधारी अधिकारी माने जाते है, जो अपनी प्रशासकीय प्रतिभा से व्यवस्था का संचालन करते हैं। आमतौर पर आईएएस के कवच कुंडल धारण किए शख्सियत को साहब बहादुर भी कहा जाता है।
तो किस्सागोई यह है कि सूबे के एक साहब बहादुर ने पिछले दिनों पावन स्तनपान वाले मामले पर कुछ ऐसा बयान दे दिया जिस पर सरकार की तबीयत भी नासाज हुई, बल्कि पार्टी की भी नाराजी छलकी। इधर सत्ता पर विपक्ष ने भी कंकर पत्थर उछाले। पहले भी ऐसा हुआ है लिहाजा सबक लेते हुए इस बार सरकार ने ऐसे साहब बहादुरों को साफ ताकीद कर दिया है कि वे कोई ऐसे बोल बच्चन ना बोले,जिससे किसी की भावना को चोट न पहुंचे, सरकार को भी असुविधा ना हो। ऐसे साहब बहादुरों को माइक से दूर रखने का भी कहा गया है।
एक शेर की बल्ले बल्ले, दूसरे की ठल्ले ठल्ले
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कप्तान ने मोर्चा संभालते हुए एक शेर को बब्बर बनाकर बल्ले बल्ले कर दी, दूसरे की ठल्ले ठल्ले। बताते हैं कप्तान को पहले शेर पर ज्यादा भरोसा है। बहराल दूसरे शेर को थोड़ा परे कर दिया। इससे जहां एक शेर की बल्ले बल्ले होग ई तो दूसरे शेर की ठल्ले।
दीदी, मां की पीड़ा
सियासत की सितारा हैसियत वाली दीदी अब उमा मां कहीं पुकारी जायेगी। यह स्वयं उन्होंने अपने एक बयान में कहां है। दीदी मां इन दिनों अमरकंटक में कहीं अज्ञातवास में आध्यात्मिक चिंतन में लीन हैं। एक बयान में उन्होंने कहा है कि गंगा और शराब के खिलाफ उनके अभियान में उन्हें भगवान एवं जनता का साथ तो मिला लेकिन पार्टी की और से कोई विशेष आयोजन नहीं हुआ।
नर्मदे हर
पंकज पटेरिया
पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
भोपाल
9340244352 ,9407505651