: पंकज पटेरिया –
चुनाव की घटा उमड़ने, घुमडने के मंजर बनने लगे हैं। तापमान दिन व दिन बढ़ रहा है। लोगों की सूरत और सीरत बदलने लगी है। बकोल अमर शायर दुष्यंत कुमार कैसे-कैसे मंजर सामने आने लगे हैं। लोग गाते गाते चिल्लाने लगे हैं। फिजा, गरमाने लगी है। बचपन में हम दोस्त 3 कांच की सीधी पट्टी ट्रायंगल में लेकर कागज से लपेट उससे एक तरफ से ढककर दूसरे से उसमें चूड़ियों के टुकड़े डालते और फिर आंख पर लगाकर देखा करते थे। हरी, लाल, नीली, पीली चूड़ियां इकट्ठा होकर फूलों की छटा बिखेर देती थी और हम मासूम बच्चे जो अब बूढ़े हो रहे है, खुश होकर झूम जाते थे।
ठीक वैसे ही नजारे इन दिनों सूबे के सियासी आकाश में छिटक रहे हैं। किसी की लाल टोपी है, किसी की हरी, किसी की सफेद, किसी की काली तो किसी की केसरिया।
इसी तरह कंधे पर डाले जाने वाले गमछो के भी रंग अपने देश की सियासी पार्टियों के भी ही है। कोई सफेद पीले ,सफेद हरे धारी वाला, कोई कोई तो कोई बलिदानी केशरिया रंग का कांधे पर डाला रहता है। इसके बिना गोया उसका गणवेश अधूरा रहता है। गोया पर्सनेलिटी कमप्लिट नही होती।
लिहाजा उसे डालना उसके लिए भी जरूरी है। तब उनकी ठीक आईडेंटिटी निखरती है, क्योंकि वह पार्टी का अनुशासित सिपाही है। अतः यह उसका पहचान पत्र है या कहें बेज है। जिसकी वजह से अपने गॉडफादर की नजर पड़ती है वे मंद मंद मुस्का देते अपने भैया ग्रेट ग्रेट गार्डन हो जाते। जिस तरह मौसम के रंग बदलते जड़ चेतन के भी रंग बदल जाते हैं।
वैसे ही सियासी मंजर भी बदलने से बंदों की टोपियां, गमछे बदल जाते। धूल गर्द के आरोप-प्रत्यारोप के गुबार भी उमड़ घुमड़ रहे है। अनाधुंध तीरे नजर चल रहे है और बड़ा मजा आ रहा है।
इधर सीएम शिवराज सिंह चौहान की उर्जा और हर क्षेत्र में पहुंचकर नई स्फूर्ति ताजगी का तरन्नुम पैदा करने की अद्भुत क्षमता की बुद्धिजीवी सराहना कर रहे हैं। तो वही पूर्व सीएम कमलनाथ मुकाबला करते दिख रहे हैं। इधर उनके पद चिन्हों पर चलते हुए अपनी ओर से पंडित बीडी शर्मा भी जोश से भरे हुंकार रहे हैं। तो अपने दतिया वाले भाई साहब प्रदेश के चाकचौक,गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा मौके पर सधा हुआ वार करने से पीछे नहीं रहते। वार भी ऐसा कि लोग चारो खाने चित, आसमान ताकते रह जाते। भैया बुंदेलखंडी आए। कहावत प्रसिद्ध है, सो… और एक बुंदेलखंडी।
बहरहाल गमछा टोपी अदला बदली का यह सिलसिला आगे भी जारी रहे, कोई हैरानी नहीं। एक पार्टी के मीडिया समन्वयक जो कभी अपने हुजूर के खासमखास थे, ने अपना गॉडफादर बदल लिया और दूसरे का स्तुति गान शुरू कर दिया।
एक माननीय उसी पार्टी में गमछा बदल पहुंच गए और अपनी पैतृक पार्टी को गुडबाय कर गए थे। वे अब सीएम के खिलाफ लड़ने के लिए कवायत कर रहे हैं।
2023 के चुनाव मेला में रंग और नूर की बारात का पूरा माज़रा ही बदल जाए, तो हैरानी नहीं होना चाहिये। इस मौके पर यह एक शेर मोजू है। एक चेहरे के कई पर्दा कहीं चेहरे हैं आज इंसान की तस्वीर बनाना मुश्किल है।
नर्मदे हर
पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
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