झरोखा : श्री रामलोक बनाए जाने की घोषणा…ओरछा में अदभुत उत्साह

झरोखा : श्री रामलोक बनाए जाने की घोषणा…ओरछा में अदभुत उत्साह

: पंकज पटेरिया –
श्री राम राजा सरकार की विश्व प्रसिद्ध नगरी में उज्जैन के महाकालेश्वर के शिव लोक की तर्ज पर श्री राम राजा लोक यथा शीघ्र बनाए जाने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा से ओरछा में अदभुत उत्साह व्याप्त है। सरकार का मानना है इससे रामराजा धाम ओरछा सुविकसित होगा, नए जन हितेषी कार्य होंगे। क्षेत्र मे रोजी रोजगार के अवसर मुहैया होंगे, जिससे बेरोजगार युवक युवती को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
श्री राम राजा सरकार की पावन नगरी ओरछा धाम मैं करीब 30 वर्ष पहले आया था। तब इसका विकास भी ठहरा हुआ था। भव्य राम राजा सरकार के सामने प्रसादी की दुकानें थी कुछ कुछ भोजनालय थे। यहां लकड़ी के पटे, आसन्न बिछाकरआदर से बैठा कर बड़े प्रेम भाव से भोजन कराया जाता था। यहां बह रही पुण्य सलिला मां वेताबा के ऊपर एक रपटा भर था। अब उसके ऊपर एक बहुत अच्छा पुल बन गया है।
झांसी से आ रहे पहुंच मार्ग के अंडर ब्रिज के ऊपर से रेलवे ब्रिज है। इस अंडरब्रिज के बनने से बेशक ट्रैफिक का दबाव कम हुआ है लेकिन कुछ तकनीकी गलती के कारण पानी भरा रहता है। एक्सीडेंटजब तब होते है।अब लोगो ने बताया कि ओवर ब्रिज का निर्माण किया जाएगा।

ram lok orchha

30 साल के अंतराल के बाद अब मैं 2024 में जब यहां आया तो मैंने कुछ और भी विकास यहां देखा। भव्य राम राजा मंदिर की व्यवस्था में बेहतर सुधार हुआ है। भीड़ की भगदड़ से सुरक्षा के लिए बाकायदा रेलिंग का निर्माण किया गया है। आम दर्शन की लंबी लाइन में विलंब होने से, एक खास कतार भी लगने लगी है, जिसके लिए प्रति व्यक्ति डेढ़ सौ रुपए लिया जाता है। समय की बचत हो जाती है दर्शन जल्दी हो जाते हैं।
भगवान को लगने वाले राजभोग का भी प्रबंध है। जिसमें ₹25 से लेकर ₹125 तक राशि देते हैं उसकी रसीद मिलती है। एक दिन पहले राशि देना पड़ती है दूसरे दिन आपको भगवान का प्रसाद राजभोग प्रदान किया जाता है। कोई धंधा रोजगार ना होने से यहां की आबादी भी पहले ज्यादा नहीं थी।
सरकार बदली, समय ने करवट ली और अब विकास के नए आयाम ओरछा में दिखने लगे है। परिणाम स्वरूप यहां टूरिस्ट डिपार्टमेंट के अलावा प्राइवेट सेक्टर के मिलाकर करीब 125 होटल खुल गई। जिनमें अनेक बेरोजगारों को अड़ोस पड़ोस के शहर के अलावा दूरस्थ नेपाल के बेरोजगार युवकों को रोजगार मिला। स्कूल अस्पताल थाने आदि तो जन हितेषी अन्य योजनाएं भी क्रियान्वित हो रही हैं।
निवाड़ी जिले में शामिल ओरछा मे अब नगर पालिका बन गई। सुविदित है कि ओरछा एक ऐतिहासिक नगरी है रामराजा सरकार विराजे हैं और उनकी कृपा से सब के बिगड़े काम बनते हैं, मनोतिया पूरी होती हैं। धर्म प्राण जन यहां विवाह मुंडन आदि कार्य भगवान राम राजा के चरणों में संपन्न करवाते हैं। लाइट एंड साउंड का बहुत बढ़िया एक कार्यक्रम राजा महल में रोज प्रस्तुत किया जाता है, जिसमे ओरछा की ऐतिहासिक यात्रा रोचक ढंग से बताई जाती है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में।
कथा अनुसार यहां के राजा मधुकर शाह और उनकी पत्नी अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति की थी लेकिन पत्नी जहां श्री राम की उपासक थी। तो राजा भगवान कृष्ण के भक्त थे। एक दिन दोनो में चर्चा हो रही थी यहां पर भगवान का मंदिर बनाया जाए। राजा बोले कृष्ण जी को मंदिर में विराजमान कराया जाए। तो रानी कुंऊरी गणेश बोली की बोली राम जी को मंदिर में विराजित किया जाए। दोनों जिद पर अड़े रहे। तब राजा मधुकर शाह ने करीब-करीब रानी को राज्य से बाहर निकालते हुए चेतावनी दी कि तुम्हें अब राज में प्रवेश तभी दिया जाएगा जब तुम्हारी गोद में शिशु रूप में राम जी यहां आएंगे तब तुम्हें ओरछा में प्रवेश दिया जाएगा।
इस तरह रानी अयोध्या और राजा मथुरा गए। रानी ने अयोध्या पहुंचकर पावन सरयू तट पर कठोर तपस्या की प्रभु राम से कहा आप को शिशुरूप में मेरे साथ अयोध्या चलना है। तपस्या करते हुए 1 माह बीत गया। रानी ने राम जी से तब यह कहते हुए कहा कि प्रभु अगर आप प्रगट नहीं हुए और मेरे साथ नहीं चले तो मैं सरयू में कूदकर अपनी जान दे दूंगी।
एक दिन रानी इसी पुकार के साथ सरयू में जैसे ही छलांग लगाई। राम जी प्रकट हो गए रानी ने अपनी बात बताई। रामजी रानी की गोद में आ गए और बोले चलिए, लेकिन मेरी एक शर्त है पुष्य नक्षत्र में पैदल चलूंगा, एक बार जहां बैठ गया फिर नहीं उठूंगा और ओरछा मेरा राज रहेगा। रानी ने रामजी की तीनों शर्त स्वीकार की। इस तरह राम जी ओरछा पधारे।
यह खबर जैसे ही राजा मधुकर साहब को मिली तो उन्होंने कृष्ण जी को लाने का विचार त्याग दिया। राम जी के लिए मंदिर का निर्माण शुरू कर दिया। अभी मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ था। आज जिसे चतुर्भुज मंदिर या विष्णु मंदिर कहते हैं वही राम जी का निवास बनने वाला था। लेकर राम जी आ गए तो रानी ने उन्हें अपने महल में विराज दिया। जब मंदिर बन गया तो विनय की गई। लेकिन उन्होंने याद दिलाया मैंने पहले ही कहा था जहां एक बार बैठ जाऊंगा फिर नहीं उठूंगा। तदनुसार राजा रूप में राम जी महाराज यहां विराज गए।


राजा टीकमगढ़ चले गए। बताते हैं रामराजा सरकार यहां दिनभर निवास करते हैं और रात्रि में माता कौशल्या के पास अयोध्या चले जाते है। राम राजा सरकार को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। इसी परिसर में हरदोल जी का मंदिर है। थोड़ी दूर श्री लक्ष्मी मंदिर और प्रसिद्ध बहुत प्राचीन छार द्वारी हनुमान जी का मंदिर है। इसके अतिरिक्त चार शानदार महल भी हैं जो यकीनन बेजोड़ है।
इनमें ही राज की प्रसिद्ध गायिका और नर्तकी राय प्रवीण का भी महल है। जो एक अत्यंत निर्धन लोहार परिवार मैं जन्मी थी। अपितु अत्यंत सुंदर थी।
जन्मजात प्रतिभा के धनी राय प्रवीण की सुंदरता में चार चांद उनके मोहक नृत्य और और मधुर कंठ ने लगा दिए थे। आचार्य सुकवि केशव महाराज ने उनकी प्रतिभा को और निखारा था। राय प्रवीण महाराज इंद्रजीत की प्रियसी थी, लेकिन उनका परिणय नहीं हो सका। उसी दुख मे वे दिवंगत भी हुए। सुंदरी राय प्रवीण की प्रतिभा और यश कीर्ति की अनेक गाथाएं है जिनकी चर्चा फिर कभी।
बहरराल कभी हजार डेढ़ हजार की आबादी वाला बुझाबुझा उदास सा कस्बा ओरछा अब तरक्की के नए आयाम तय कर रहा है। आबादी भी करीब ५० , साठ को पार कर रही है। इसका श्रेय निसंदेह मौजूदा भाजपा सरकार को जाता है। नए धंधे कारोबार भी यहां शुरू हो गए हैं। भले होटलों में सही लेकिन युवक रोजगार करने लगे हैं। तो नेपाल के युवक भी एक होटल में काम करते मिले।
उज्जैन की तर्ज पर श्री राम लोक की स्थापना के बाद जाहिर है ओरछा का कायाकल्प हो जाएगा। यहां के रहवासियों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की रामलोक स्थापना की घोषणा की, से गजब उमंग और उत्साह व्याप्त है।
आबादी बढ़ने से जाहिर है गंदगी भी बड़ी है यहां हालांकि सुबह शाम कचरा गाड़ी आवाजाही करती है। लेकिन नारकीय बदबू अभी भी पीछा नहीं छोड़ रही। साफ सफाई के प्रति जन जागरण भी जरूरी है। यहां के बहुत अच्छे लोगो को भी इस दिशा में सहभागी बनना चाहिए।
यहां के रहवासी बहुत सरल सहज हैं। आम भाषा बुंदेली बोली है जो अपनी माधुरी से अजनबी को भी अपना बना लेती है। हाल फिलहाल झूठ फरेब चोरी चाकरी की घटनाएं यहां आमतौर पर सुनाई नहीं देती। आओ महाराज, जय राम राजा जू की मधुर घोष के साथ छोटे बड़े आदमी आने वाले का स्वागत करते हुए आपको मिल जाएंगे।
रामराजा सरकार के दरबार में छोटे बड़े सब समान भाव से जाते हैं और अपनी गुहार लगाते हैं। मंदिर में 4 आरती होते हैं। बहुत अच्छी व्यवस्था है एक ट्रस्ट के द्वारा संचालन होता है। प्रसादी से लेकर दान दक्षिणा के लिए भी रसीद देने की परंपरा है।
सबसे बड़ी बात रामराजा सरकार की इस नगरी में कोई किसी से झगड़ा नहीं है गुस्सा नहीं करता है। सब राम राजा जी को साक्षी कर अपनी समस्या का निदान कर लेते हैं। पर बहुत कुछ चाहिए ओरछा को अच्छी सड़क, सफाई, निकास नालिया, कॉलेज, सर्व सुविधायुक्त चिकित्सालय आदि।
विश्व प्रसिद्ध हर साल यहां आयोजित होने बाला कविवर मनीषी श्री केशवदास महाराज स्मृति मे संगीत और साहित्य का प्रतिष्ठा पूर्ण समारोह जो बंद कर दिया गया, जिसे बरसो तक कीर्ति शेष प्रसिद्ध साहित्यकार हरगोविंद त्रिफाटी पुष्प जी संचालित करते रहे। उसे भी पुनः शुरू किया जाना चाहिए। सौभाग्य से सन 1991 ९२ में यह लेखक भी कवि के रूप में यहां आमंत्रित हुआ था।
उल्लेखनीय है कि अपनी ऐतिहासिक विरासत को संभाले रामराजा सरकार की इस विश्व प्रसिद्ध तीर्थ नगरी में भारतीयों के अलावा में विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में आते है। आशा की जानी चाहिए श्री रामलोक के निर्माण से ओरछा के आभा मंडल में और विस्तार होगा। जिससे देश प्रदेश की विश्व स्तर पर ओरछा की यश कीर्ति फैलेगी। जय सिया राम जी की।

नर्मदे हर

pankaj pateriya

पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
9893903003
9340244352

CATEGORIES
Share This
error: Content is protected !!