झरोखा : माता रानी की जगमगाती लाल चुनरी की महिमा

झरोखा : माता रानी की जगमगाती लाल चुनरी की महिमा

: पंकज पटेरिया
शक्ति की पूजा उपासना के महापर्व नवरात्र के चलते भक्ति में डूबे गांव-गांव, शहर-शहर में माता रानी राज राजेश्वरी भगवती दुर्गा जी की भक्ति में चुनरी यात्रा की अदभुत धूम छाई है। भक्ति भाव से नख शीख भीगे धर्म प्राण जन हर्षोल्लाह से लाल रंग की मोहक सितारों मढ़ी माताजी पर चढ़ाने चुनरियों की, भव्य शोभा यात्रा निकाल रहे हैं।
इन सुंदर आकर्षक लाल चुनरिया की लंबाई 15 फीट से लेकर 1500 फीट तक कहीं-कहीं देखी गई है। जगत जननी के भक्तों का उत्साह अद्भुत है। बाजे गाजे के साथ माता रानी के भजन कीर्तन और जयकारा के साथ चुनरी की यह शोभायात्रा नयना अभिराम, अलौकिक आनंद की सृष्टि रच रही है।
देवी मां भगवती दुर्गा जी पर चुनरी चढ़ाने की पौराणिक परंपरा है। एक प्रचलित कथा के अनुसार श्री राम भक्त हनुमान जी ने बालिका रूप में विराजी वैष्णो देवी को दर्शन करते समय सितारों जड़ी लाल रंग की चुनरी भेंट की थी। जिसे पाकर माता जी अत्यंत प्रसन्न हुई और उन्होंने प्रसन्न भाव से उदगार व्यक्त किए कि आज से और सदा जो भी भक्त जिस कामना से मुझे चुनरी चढ़ाएगा, उसकी वह पूरी होगी। उसकी सारी आपदा, विपदा आदि व्याधि समाप्त होगी। तभी चुनरी भेंट करने की प्रथा चली आ रही है।
लाल रंग देवी मां को बहुत प्रिय है इसे बहुत शुभ पवित्र माना गया है। यह मंगल का प्रतीक है। भारतीय परिवारों मे विवाह आदि के समय वधू को लाल चुनरी सर पर उड़ने की परंपरा है। इसे ही ओढ़ कर दुल्हन विवाह मंडप में बैठती हैं, और दूल्हे के साथ-साथ फेरे भी इसी वेशभूषा में लिए जाते हैं। विवाह के बाद लाल साड़ी, लाल चुनरी ओढ़ दुल्हन ससुराल विदा होती है। इसके पीछे की भावना यह है की मां भगवती तथा तुम्हारी, तुम्हारे नए घर परिवार की रक्षा करें और तुम्हारा दांपत्य जीवन सुख समृद्धि से भरा पूरा रहे।
एक मान्यता के अनुसार भगवती दुर्गा जी पर चढ़ी चुनरी में तीन लौंग, तीन कपूर और केसर मौली से बांधकर अपनी तिजोरी, अलमारी अथवा जहां रूपए पैसे आभूषण रखते हैं, रखने से सदा बरकत रहती है और माता रानी की कृपा से सुख, समृद्धि, धन-धान्य से घर परिवार आलोकित रहता है।
नर्मदे हर ।

पंकज पटेरिया (Pankaj Pateriya)
वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
9893903003
9340244352

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