
झरोखा : टोपिया, गमछे बदल रहे है…गॉडफादर बदल रहे है
राजधानी से पंकज पटेरिया :
किसी की लाल टोपी है किसी की हरी, किसी की सफेद, किसी की काली तो किसी की केसरिया। इसी तरह कंधे डाले जाने वाले गमछो के भी रंगअपने देश की सियासी पार्टियों के भी ही है। कोई सफेद पीले ,सफेद हरे धारी बाला, कोई बलिदानी केशरिया रंग का कांधे पर डाला रहता है। इसके बिना गोया उसका गणवेश अधूरा रहता है।
लिहाजा उसे डाला जाना उसके लिए यू भी जरूरी है। क्योंकि वह इस पार्टी का अनुशासित सिपाही है। अतः यह उसका पहचान पत्र है या कहें बेज है। जिसकी वजह से अपने गॉडफादर की नजर पड़ती है वे मंद मंद मुस्कुरा देते। अपने भैया ग्रेट ग्रेट गार्डन हो जाते।
जिस तरह मौसम के रंग बदलते जड़ चेतन के भी रंग बदल जाते हैं। वैसे ही सियासी मंजर भी बदलने से बंदों की टोपियां गमछे बदल जाते हैं। यू बहरहाल पार्टी के बंदे अभी एक निष्ठ नहीं है। उनकी आस्था निष्ठा को चोट पहुंची है तो उन्होंने अपने गमछो अपनी टोपी के भी रंग बदल लिये है।
यह सिलसिला आगे भी चलेगा इसमें कोई शक नहीं। एक पार्टी के मीडिया समन्वयक जो कभी अपने हुजूर के खासम खास से उन्होंने अपना गॉडफादर बदल लिया और दूसरे चुन लिए। स्तुति गान शुरू कर दिया।
एक माननीय भी बैक टू पवेलियन अपनी उसी पार्टी में गमछा बदल लौट आए जिसे वे गुडबाय कर गए थे।
2023 के चुनाव मेला में रंग और नूर की बारात का पूरा मजबा ही बदल जाए, तो हैरानी नहीं होना चाहिए। इस मौके पर यह एक शेर मोजु है। जिंदगी में मेरी खुशियां तेरे बहाने से हैं एक तुझे सताने एक तुझे मनाने से।
नर्मदे हर

पंकज पटेरिया
पत्रकार साहित्यकार
ज्योतिष सलाहकार
भोपाल
9340244352 ,9407505651